Abdul kalam essay in Hindi के आर्टिकल में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलम पर निबंध है। यहाँ 400 और 300 शब्द का निबंध लिखा है। आशा है ये आपके लिए मददगार होगा ।
ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध – Abdul Kalam Essay in Hindi
प्रस्तावना
डॉक्टर अब्दुल कलाम भारतीय इतिहास का सितारा। एक सामान्य व्यक्ति से लेके देश के सर्वोच्च पद पे पहोचने वाला व्यक्तित्व। सामान्य घर से निकला हुआ आदमी अपनी क्षमता और महेनत के बल पर नयी उंचाईया सर कर सकता है। ये डॉक्टर कलाम में सिद्ध किया हैइसीलिए आज वै लाखो लोगो के लिए प्रेरणा स्तोत्र है। उनका देश प्रेम और देश के प्रति उनका समर्पण सदियों तक याद किया जायेगा।
डॉक्टर कलाम का बचपन
डॉक्टर A P J अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। पिता का नाम जैनुलबदीन और माता का नाम आशियम्मा था। अब्दुल कलाम का पूरा नाम – अवुल पाकिर जैनुलबदीन अब्दुल कलाम था।
एक गरीब मुस्लिम परिवार में जन्मे अब्दुल कलाम ने प्राइमरी शिक्षा अपने गांव में हांसिल की थी। आगे पढ़ने के लिए और साथ में परिवार को मदद करने के लिए कलाम में अपने पिता जी के साथ लोगो के घरोमे समाचार पत्र भी बाटे थे।
तिरुचिरापल्ली के सेंट जोशेफ कॉलेज में स्नातक की डिग्री हांसल की थी। और मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से ऐरो स्पेस इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की थी।
देश के लिए योगदान
1960 से उनकी सेवकिया कार्यो की शरुआत होती है। ये उन दिनों की बात है जब पश्चिमी देशो में वैज्ञानिको की मांग थी। जो भारत की तुलना में बहुत ज्यादा पैसे देते थे। डॉक्टर कलाम के सामने दो ऑप्शन थे एक तरफ देश सेवा और एक तरफ पैसा। डॉक्टर कलाम ने देश सेवा को पसंद किया। इतना ही नहीं पूरा जीवन देश के लिए समर्पित किया।
सन 1960 में डॉक्टर कलाम ने एक वैज्ञानिक के तोर पे अपनी कारकिडी शरुआत DRDO से की थी। वैमानिक विमान प्रतिष्ठान से कारकिडी शरू करने वाले कलाम ने भारत के मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के अंदर में भी काम किया था।
डॉक्टर कलाम ने 1969 तक वैमानिक प्रतिष्ठान संस्थान में सेवकीय कार्य किया। उस दौरान उन्होंने भारतीय सेना के लिए एक फाइटर हेलीकॉप्टर की रचना की थी। उनके काम करने की रूचि और मेहनत को देखके सन 1969 में उनका स्थानांतर ISRO में कर दिया था।
ISRO में उन्हें सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल SLV III के प्रोजेक्ट के मुख्या बनाये गए। डॉक्टर कलाम के नेतृत्व में सफलता पूर्वक SLV III में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी के निकट तैनात किया गया।
अग्नि और पृथ्वी नाम की मिशाइल बनाने में उनकी मुख्य भूमिका रही।
सन 1983 में DRDO के अध्यक्ष बनाये गए। जिसमे मिसाइल डेवलोपमेन्ट प्रोग्राम का नेतृत्व किया।
1998 में तत्कालीन वडाप्रधान अटल बिहारी वाजपई के साथ काम किया। पोखरण परमाणु का सफल परिक्षण के बाद वो देश के लिए एक हीरो से कम नहीं थे। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अनेक सुझाव दिए और पुस्तके लिखी।
देश के सर्वोच्च पद पर डॉक्टर कलाम
130 करोड़ लोगो का देश और एक सामान्य घर से निकलकर सर्वोच्च पद तक का सफर आसान नहीं होता।
डॉक्टर कलाम 25 जुलाई 2002 भारत देश के राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए। उस वक्त के NDA गठबंधन के उमेदवार बनाये गए थे। 25 जुलाई 2007 तक भारत के 11 वै राष्ट्रपति के तोर पे उन्होंने पदभार संभाला।
देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बाद भी वो अपनी शालीनता के लिए जाने जाते रहे । राष्ट्रपति के तोर पे देशहित में कही कठिन निर्णय भी लिए, वहा कुछ निर्णय विवदास्पद भी रहे। इसमें दया याचिका पे काम करना और बिहार में राष्ट्रपति शाषण लगाना शामिल है।
निवृत जीवन का उपयोग
डॉक्टर कलाम राष्ट्रपति का कार्यकाल पूर्ण करने के बाद भी अपने आप को प्रवृति में कार्यरत रखा। IIM अहमदाबाद IIM इंदौर और IIM शिलोंग के विजिटर प्रोफेसर के रूप में सेवा प्रदान की।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस एंड साइंस बेंगलोर में मानद के रूप में काम किया।
तिरुवनंत में चॅन्सेलर के रूप में काम किया। ऐरो स्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में काम किया। इसके आलावा देश के कही अन्य संस्था ओ में अपनी सेवा दी है।
जीवन की उपलब्धिया
1 – डॉक्टर कलाम ने अपने जीवन में 40 विश्वविद्यालयो से डॉक्टरेट की मानद पदवी प्राप्त थी।
2 – संयुक्त राष्ट्र ने उनके 79 में जन्म दिवस को विश्वछत्र दिवस के रूप में मान्यता दी थी।
3 – सन 1997 में भारत सरकार द्वारा इंदिरा गाँधी पुरष्कार से सन्मानित किया गया था।
4 – सन 2000 में, अलवरस रिसर्च सेंटर द्रारा रामानुजन पुरस्कार से सन्मानित किया गया था।
5 – ASME फाउंडेशन, USA ने कलाम हूवर मैडल से सन्मानित किया।
6 – देश का सबसे बड़े सन्मान भारत रत्न, पद्म विभूषण एवम पद्म भूषण से सन्मानित किया गया था।
जीवन का अंत
27 जुलाई 2015 को IIM शिलांग में व्याख्यान दे रहे थे। करीब 6 बजकर 35 मिनट में गिर जाते है। गंभीर हालत में नजदीकी हॉस्पिटल पहोचाया जाता है। पर लगभग 2 घंटे के बाद हार्ट अटक की बजह से मृत घोषित किया जाता है।
निष्कर्ष
डॉक्टर कलाम के जीवन का निष्कर्ष लिखते समय मुझे गांधीजी का वाक्य याद आता है। My life is my massage – मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। उनके जीवन से हम बहुत कुछ सिख सकते है। जीवन को किस तरह से आदर्श बनाया जाता है। आगे बढ़ने तमन्ना, कुछ विशेष करने की चाह, शादगी, जैसे उनके गुण आने वाली शादियों तक लोगो के लिए प्रेरणा दायक होंगे।
APJ abdul kalam Essay in Hindi- APJ अब्दुल कलाम निबंध
भारत के महान वैज्ञानिक थे। सन 1997 में उन्हें भारत रत्न का सन्मान मिला था। सन 2002 से 2007 तक वे भारत के राष्ट्रपिता रहे। उनका पूरा नाम अबुल पकिर जैलबुद्दीन अब्दुल कलाम था। वे मिसाईल मेन के नाम से प्रसिद्ध थे।
दक्षिण भारत में रामेश्वर नामक एक क़स्बा है। यह भारत के प्रसिद्ध चारधामों में एक है। १५ अक्टुम्बर 1931 को उनका जन्म हुआ था। उनके परिवार की स्थिति समांन्य थी। उनके पिता नाविक थे।
अब्दुल कलाम तेजस्वी विद्यार्थी थे। विद्यार्थी जीवन में उन्हें कही पुरस्कार मिले थे। अंग्रेजी गणित विज्ञानं और तमिल उनके प्रिय विषय थे। उन्होंने भौतिक शास्त्र में स्नातक तक की पढाई की। उनकी रूचि इंजीनियरिंग में थी। वे इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर बने।
अब्दुल कलाम का सपना था की वो पायलट बने। पर उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई। डॉक्टर कलाम ने विमान और राकेट बनाने की तकनीक शिखी उन्होंने भारत सरकार के कही संसाधनों में काम किया।
तरह -तरह की मिशाइल बनाने में उन्होंने कुशलता प्राप्त की। बादमे उन्होंने पृथ्वी, आकाश अग्नि आदि मिशाइल बनाई। इसीलिए उनको मिशाइल मेन के नाम से जाना गया।
मिशाइल बनाने के कारण उन्होंने शत्रु के परमाणु हमलो से भारत को मजबूत सुरक्षा प्रदान की।
डॉक्टर कलाम की जीवन शैली
डॉ। कलाम स्वाभाव से बहुत नम्र और सहनशील व्यक्ति थे। उनका जीवन बहुत सादा था। वे तीव्र गति से काम करने में विश्वास करते थे। वे कहते थे सपने देखो और उन्हें साकार करो।
हमारे देश के सर्वोच्च पद पर वो 11 में राष्ट्रपति के तोर पर कार्यभार संभाला। 2002 से 2007 तक वो भारत देश पे राष्ट्रपति रहे।
उन्होंने अपने जीवन में कही उपलब्धिया हांसिल की। भारत सरकार द्वारा भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्मभूषण जैसे मानक अवॉर्ड से सन्मानित किया गया।
आईआईएम इंदौर बैंगलोर और शिलोंग में प्राध्यापक का रोल अदा किया।
भारत की अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइल बनाने में उनका योगदान रहा।
27 जुलाई 2015 को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़। …… में व्याख्यान दे रहे थे तब , अचानक हार्ट अटक से उनका देहांत हुआ। तब उनकी आयु 83 साल थी।
भारत माता को अपने इस सपूत पे गर्व है।