Akal Par Nibandh – अकाल एक भीषण समस्या

अकाल  याने सूखा ये एक बहुत बड़ी समस्या होती है। जिस साल अकाल का सामना करना पड़ता है। मनुष्य परेशान हो जाता है। यहाँ अकाल पर निबंध (Akal Par Nibandh) दिया गया है। जो आम तोर पर प्राइमरी कक्षा के छात्रों के लिए पूछा जाता है।

अकाल पर निबंध – Hindi Essay on Drought

अकाल प्रकृति के क्रॉप का एक रौद्र रूप है। अकाल की स्थिति वर्षा न होने के कारन पेंदा होती है। पानी न मिलने से फसल नष्ट हो जाती है। खाद्यानो के लाले पद जाते है। वर्षा न होने से नदिया तलाव और अन्य जलाशय सुख जाते है। पिने के पानी का संकट पेंदा हो जाता है।

अकाल की स्थिति बहुत भयावह होती है। किसानो की आशय चिंता में बदल जाती है। अनाज के भाव बढ़ जाते है। महंगाई के कारन कारन लोग त्राहि त्राहि करने लगते है। गरीबो का जीना मुश्किल हो जाता है।

अंग्रेजो के शाशन में अकाल पीड़ितों की यातना ओ की कोई सिमा नहीं होती थी। पर आज सरकार अकाल पीड़ितों को भरपूर सहाय देती है।

कही सामाजिक संस्थाए अकाल पीड़ितों की मदद कटरी है।

जंगलो की कटाई पर सरकार ने क़ानूनी रूप से रोक लगा दी है। वृक्ष रोपण को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। नदिओं पर विशाल बांध बनाये गए है।

अकाल के कारन राष्ट्र की बड़ी बड़ी योजनाए रुक जाती है। अकाल से निपटने और उससे बचने के लिए प्रभाव पूर्ण उपाय करना आज भी बड़ी आवश्यकत है।

आज के समय में अकाल की असर कम दिखती है। क्युकी सरकारे अकाल के समय में बहुत मदद उपलब्ध कराती है। और वाहन व्यवहार की रफ़्तार पहले से बहुत अच्छी होने से अकाल की असर को काफी हद तक दूर किया जाता है।

Akal Par Nibandh

सूखा और अकाल पर निबंध – अकाल एक भीषण समस्या – Akal Par Nibandh 

सुंदरता दिव्यता तथा समृद्धि से बबरी हुई प्रकृति कभी कभी रुष्ट हो जाती है। उनका क्रॉप बहुत भयानक होता है। अकाल प्रकृति का एक रौद्र रूप है।

अकाल की स्थिति वर्षा न होने के कारन पैदा होती है। अकाल पड़ने पर धरती की नमी सुख जाती है। पानी न मिलने से फस्क नष्ट हो जाती है। खाद्यानो के अछत हो जाती है। वर्षा न होने से नदिया, गांव के तलाव एवं जलाशयों सुख जाते है।

अंग्रेजो के शाशन में अकाल पीड़ितों को बहुत मुस्किलो का सामना करना पड़ता था। आज की स्थति अलग है देश आज़ाद होने के बाद सरकरे नागरिको के बारेमे सोचने लगी है। अकाल में उन्हें बहुत मदद दी जाती है। राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार अकाल ग्रस्त क्षेत्रो में तुरंत रहत कार्य शरू कर देती है।

केंद्र सरकार भी अकाल से निकल ने के लिए हर संभव मदद देती है। कई सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाए अकाल पीडीटी के लिए दौड़ जाती है।

आजकल पर्यावरण शास्त्री अकाल के कारणों की खोज करने में जुटे हुए है। जंगलो और वृक्षों की कटाई पर सरकार ने क़ानूनू रूप से रोक लगा दी है। वृक्ष रोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हर साल वृक्ष रोपण का कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

नदियों पर विशाल बांध बांये जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्र में नए नए कुए खोदे जा रहे है । तलवो को और अधिक गहरा किया जा रहा है। क्युकी उनमे अधिक पानी जमा हो सके।

अकाल की असर 

अकाल के कारन देश की प्रगति रुक जाती है। योजना को स्थगित कर देना पडता है ।अकाल से निपट ने और उससे बचाव के लिए प्रभाव पूर्ण उपाय करना सबसे बड़ी जरूरियात है।

अकाल मानव जीवन को अस्तव्यस्त कर देती है। अकाल की अक्षर मनुष्य, पशु पंखी सब पे होती है। मनुष्य को अन्न नहीं मिलता पशु को घास चारा नहीं मिलता और पंखीओ को चन नहीं  मिलते है।

कुओ का जल स्टार घट जाता है। पिने के पानी का संकट पेंदा हो जाता है।

अकाल की स्थिति बहुत भयजनक होती है। किशन परेशान हो जाता है। अनाज की तंगी और भाव बढ़ जाते है। गरीबो का जीवन दुर्लभ हो जाता है। लोगो को पेट भरना मुश्किल हो जाता है।

घास भूसा न मिलने से पशु ओ दम तोड़ने लगते है। गांव के गांव वीरान हो जाते है।

आज का समय थोड़ा बदला है। सरकार और संस्था ये ऐसी स्थिति में हर संभव मदद के लिए तैयार रहती है। जिससे अकाल की समस्या से निपटा जा सकता है।

 

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