Dashahara Par Nibandh – दशहरा निबंध

यहाँ हमारे देश का प्रमुख त्यौहार दशहरा पर निबंध (Dashahara par Nibandh) है। यहाँ ऐ 100 शब्दों से लेकर 800 शब्दों तक का निबंध तैयार कर सकते हो। ये हरेक कक्षा के विधयति के लिए उपयोगी होगा।


Dashahara Nibandh – दशहरा निबंध 

 

प्रस्तावना

असत्य पे सत्य का विजय ये कोई नया वाकया नहीं है। न ही ये सिर्फ कहने के लिए है। हरेक व्यक्ति अपने जीवन में कही न कही अनुभव करता है। दशहरा जैसे त्यौहार मानव जीवन को उल्लास से भर देते है। मनुष्य को जीवन में सत्य के राह  पर चलने की प्रेरणा देते है। भारतीय संस्कृति प्रेरणा दायी उत्सवों से भरी हुई है। दशहरा उसका एक उत्तम उदहारण है।

दशहरा का आगमन

दशहरा से पहले नवरात्रि का आगमन होता है। नवरात्रि की तैयारी भी काफी दिन पहले से चालू हो जाती है। नवरात्रि के नो दिन के बाद दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। नवरात्रि में नो दिन तन माता जगदम्बा की आराधना की जाती है। नव युवान  रास डांडिया के साथ गरबे घूमते है। जगत जननी अम्बे माँ की भक्ति करते है।

माँ जगदम्बा शक्ति की देवी है। इसकी नो दिनों तक उनकी आराधना करने से शक्ति प्राप्त होती है। मनुष्य को अपने जीवन में दुर्गुणों से लड़ने के लिए शक्ति चाहिए। आशूरी वृत्ति के सामने लड़ने के लिए शक्ति चाहिए।

संसार में मनुष्य को विचलित करने वाली मोह माया से दूर रहने के लिए शक्ति चाहिए। इस शक्ति के लिए मनुष्य नो दिन तक माताजी की उपासना करते है। नो दिनों तक व्रत करते है।

नो दिन के नवरात्रि के बाद  दसमे दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। हिन्दू तिथि के अनुशार शुकल पक्ष की दशमी को दशहरा मनाया जाता है।

दशहरा से जुडी पौराणिक कथा

रामायण में राण रावण का युद्ध जगविख्यात है। लंका के राजा रावण माता सीता का हरण किया था। अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए भगवन रामने रावण से युद्ध किया था। वानर सेना की सहाय से श्री राम ने लंका पर विजय पाया था। और लंका का राजा रावण का वध किया था। जिस दिन राम ने रावण का वध किया था उसदिन की  तिथि  सुकल पक्ष की दसवीं  थी।

पौराणिक कथा में एक और कथा माता दुर्गा माता की है। महिसासुर राक्षश का त्रास बढ़ गया था। लोग परेशान हो गए थे। महिसासुर के आतंक से लोगो का जीना हराम हो गया था। शक्ति शाली राक्षश का मुकाबला करने वाला कोई नहीं था। ऐसे वक्त देव गण माता दुर्गा के पास सहाय के लिए जाते है।

माता दुर्गा और महिसासुर का भयंकर युद्ध होता है। यह युद्ध नो दिन एवं नो रात्रि तक चलता है। माँ दुर्गा दशमे दिन महिसासुर का वध करती है। और लोगो को उसके त्रास से छुकारा मिलता है। इस दिन की तिथि भी शुकल पक्ष की दशमी थी।

ऊपर की  दोनों कथा से विदित होता है की सत्य की हमेश विजय होती है। असत्य का हमेशा नाश होता है। दैवी शक्ति के सामने आसुरी शक्ति का हमेशा नाश होता है।

हमारे देश में दशहरा कैसे मनाया जाता है ?

दशहरा का दिन विजय के उत्सव का दिन है। राम ने रावण पे और माता दुर्गा ने महिसासुर पे विजय पाया था। इसीलिए इसे विजयादशमी भी कहते है।

दशहरा के दिन सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्रो में छूती होती है। नो दिन की उपसना के बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा का विषर्जन किया जाता है। आज के समय में दशहरा के दिन जलेबी एवं फाफड़ा के लिए लाइन लग जाती है। लोग मानते है की इस दिन जलेबी और फाफड़ा खाना चाहिए।

लोग अपनी गाड़ियों को शृंगार करते है। साफ करवाते है और फुलहर से सजाते है।

दशहरा का मुहर्त सबसे अच्छे मुहर्त में माना जाता है। इस दिन कोई भी शुभ काम प्रारंभ किया जाता है। आजकल लोग दशहरा के दिन नयी गाड़िया खरीदते है।

राजपूतो के लिए ये त्यौहार बहुत महत्व रखता है। इतिहार के मुताबिक राजपूत राजा दुश्मनो से लड़ने के लिए हमेशा आगे रहते थे। धर्म और संस्कृति के लिए हमेशा युद्ध करते थे।

दशहरा के दिन राजपूत अपने शास्त्रों का पूंजन करते थे। ये नियम आज भी प्रचलित है। देश के कही राजपूत संगठन शास्त्र पूंजन का कार्यक्रम का आयोजन करते है। और शास्त्रों का पूंजन करते है।

दिल्ली के राम लीला मैदान में भव्य आयोजन होता है। रावण, कुम्भकर्ण एवं मेघनाद का बहुत बड़ा पुतला बनाया जाता है। हमारे प्रधानमंत्री धनुष्य से बाण चलाते है। पुतले को जलाते है।

इस तरह विजयादशमी का त्यौहार पुरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।

गांव में दशहरा का त्यौहार 

भारत के छोटे गावो में भी दशहरा का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में मानाने वाले सभी लोग दशहरा पूजन के लिए वैराई माता के मंदिर इक्क्ठे होते है। ब्राह्मण दशहरा का पूजन करते है। इस दिन रक्षाबंधन के किन बहन ने बांधी राखी को छोड़ा जाता है।

गांव में छोटे बच्चे  घर घर जाकर वडिलो के आशीर्वाद लेते है। आर्थिक रूप से संपन्न व्यक्ति निर्धन को दान देते है।

 

दशहरा का महत्व 

दशहर का उत्सव राक्षस पे विजय का उत्सव है। आशूरी वृति पे विजय का उत्सव है। रावण और महिसासुर जैसे राक्षशो के वध के बाद का विजयोत्सव है।

पर क्या आज समाज में रावण और महिसारूर वृति वाले लोग नहीं है ? समाज में ऐसे असामाजिक तत्व को रोकने के लिए के करना चाहिए ?

सबसे पहले तो हमें खुद में बसा रावण को हटाना होगा। रावण अभिमानी था। पर स्त्री पर बुरी नजर रखता था। आज हरेक मनुष्य में रावण छुपा हुआ है। हमें हमारे में रहा इस वैचारिक रावण को दूर करना है।

आसुरी वृति पर दैवी वृति पर विजय होगा ये निश्चित है। और यही सनातन सत्य है। दशहरा का उत्सव मनाने के लिए हमें हमारे भीतर के रावण को दूर करना होगा। तभी हम जीवन रूपी युद्ध में विजय बन सकते है।

 

निष्कर्ष

10 दिनों तक चलने वाला ये उत्सव अपने आप में अद्भुत है। दशहरा का त्यौहार और उनसे जुडी कथा। ये कथाये ये  पुष्टि करती है। हमेशा सत्य का ही विजय होता है। बुराई पर अच्छाई की जित का उत्सव है। हम उत्सव तभी मना पाएंगे जब हम जीतेंगे। और हम तभी जीतेंगे जब हम बुराई को छोड़ अच्छाई के राह पर चलेंगे।

 

Dashahara Essay in Hindi  – दशहरा निबंध 

 

दशहरे के त्यहार का अपना एक अलग महत्व है। दशहरे के पहले नो दिन नवराति का उत्सव मनाया जाता है। दशवे दिन दशहरा होता है। इस  दिन को विजयादशमी भी कहते है। ये त्यौहार सारे भारत  में आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाता है। दशहरा शरद ऋतु का पौराणिक पर्वे है।

महाभारत की एक कथा के अनुशार पांडवोका अज्ञातवास इसी दिन पूरा हुआ था। अज्ञातवास में पांडवो ने अपने शस्त्र एक वृक्ष पर रख दिए थे। और दशहरे के दिन यह शस्त्र वृक्ष से उतारे थे। प्राचीन कथा में महाराजा रघु का भी जिक्र है। कहा जाता है की रघु राजा ने कुबेर को परास्त कर भारी  मात्रा में सुवर्ण प्राप्त किया था। और सारा धन कौत्स ऋषि को दान किया था।

दशहरे का त्यौहार देश के सभी भागो में धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तरभारत में यह त्यौहार राम की लंका विजय के रूप में मनाया जाता है। इस अवशर पर जगह जगह पर रामलीला का आयोजन होता है। दस दिनों तक चलने वालो रामलीला दशहरे के दिन समाप्त होती है।

दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण अवं मेघनाद का पुतला जलाया जाता है। बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। दशहरे के दिन दुर्गा माता की मूर्ति का विषर्जन किया जाता है। गुजरात में नवरात्रि का त्यौहार नो दिनों तक चलता है। माँ जगदम्बे की आराधना की जाती है। दशहरे के दिन माँ जगदम्बे की मूर्ति का विषर्जन होता है। मैसूर में दशहरे की सवारी मनमोहक होती है।

दशहरे का दिन बहुत शुभ माना जाता है।

इस दिन लोग अपने घर दुकान कार्यालयों को शृंगार करते है। अपनी गाड़ी की ढुलाई करवाके फूलो के हर से सजाते है। दशहर के दिन सरकारी एवं घेर गैर सरकारी संस्थानों में छूती होती है।

कोई भी नया काम करने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ मन जाता है। आज कल नयी गाड़िया की डिलीवरी दशहरा के दिन बहुत ज्यादा होती है।

व्यवसायी लोग  अपने औज़ार अवं मचिनो की पूजा करते है। पुराने ज़माने में क्षत्रिय अपने शस्त्रों का पूजन करते थे। आज भी यह परम्परा देखने को मिलती है। दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है।

सच मुच्  दशहरा विजय का पर्व है। इस पर्वे से हमें जीवन में विजय बनने की अवं धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है। हर साल मनाया जाने वाला त्यौहार अपने आप में एक अद्भुत है। जो मानव को मानवता की तरफ केले जाता है।

 

 

दशहरा – Dashahara Festival Nibandh 

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी परम्परा संस्कृति और उत्सवों के लिए जाना जाता है। यहाँ हर पर्व को लोग बहुत ख़ुशी के साथ मनाते है। इस त्यौहार का सम्बन्ध भी पौराणिक कथा से है। माँ दुर्गा ने महिसासुर नमक दैत्य से नो दिन तक संघर्ष किया तथा दसवे दिन उसका वध किया।

उत्तर भारत में यह त्योहर मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम की रावण पर विजय के प्रतिक के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन श्री राम ने लंका के राजा रावण को इसीलिए मारा था क्युकी उसने माता सीता का हरण किया था और वापस करने के लिए तैयार नहीं था।

उसके बाद भगवान राम ने हनुमान की वानर सेना और लक्ष्मण के साथ मिलकर रावण को पराष्ट किया था। रावण को मरने के बाद राम ने सीता को वापस पाया। दशहरे से कुछ दिन पूर्व से जगह जगह राम लीला आयोजित की जाती है। जिनमे भगवान राम का जीवन चरित्र प्रदर्शित किया जाता है।

दशहरे के दिन नगरों में बहुत धूम धाम से मनाये जाते है। एक खुले मैदान में रावण मेघनाद तथा कुम्भकर्ण के बड़े बड़े पुतले बनाये जाते है। जहा राम रावण का युद्ध दिखाया जाता है। श्री राम चंद्र जी रावण का वध कर देता है। तथा अग्नि बाण छोड़कर पुतले में आग लगा देते है।  पुतलो में बम तथा फटाके भरे होते है। पुतलो के जलने से जो आवाज आती है उस पर हर्ष व्यक्त की जाती है।

दशहरे के दिन हमें प्रेरणा देता है की सत्य मेव जयते एवं सत्य की हमेशा विजय होती है। मर्यादा पुरषोत्तम राम से जुड़ा यह त्यौहार हमें भगवान राम के आदर्शो पे चलने की प्रेरणा देते है। राम के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए की उन्ही की तरह आज्ञाकारी वीर एवं साहसी बनने का संकल्प ले।

 

दशहरा पर 100 शब्दों में निबंध – Dashahara par Nibandh

 

दशहरा हिन्दुओ का एक धार्मिक त्यौहार है। यह अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है।

सारे भारत में यह त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन श्री राम ने रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की थी। श्री राम की विजय की याद में नवरात्री एवं रामलीला होती है। फिर दशहरे के दिन रावण और कुम्भकर्ण के पुतले जलाये जाते है।

दुर्गा माता ने महिसासुर राक्षश के साथ नौ दिन युद्ध किया था। माता दुर्गा ने दसवे दिन महिसासुर पर विजय पायी थी। इसी विजय की याद में विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है।

नौ दिन देवीपूजा होती है। इन दिनों गुजरात में रास गारबे की धूम मचती है।

श्री राम और दुर्गा माता की विजय की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। इसीलिए उसको विजयादशमी भी कहते है।

बरसात के दिन में हमारे कही काम रुक जाते है। इसी दिन किसी भी मांगलिक कार्य शरू करने के लिए दशहरा शुभ दिन माना जाता है। यह विजय और आनंद का दिन है।

हमेशा अधर्म की हार और धर्म की जित होती है। इसीलिए हमें सदा धर्म के रस्ते चलना चाहिए। विजयादशमी का यही सन्देश है।

 

दशहरा पर 10 लाइन का निबंध

1 – दशहरा हिन्दूओ का प्रमुख त्यौहार है।

2 – दशहरा के त्यौहार को विजयादशमी भी कहा जाता है।

3 – नवरात्रि के नो दिन के बाद दशमे दिन दशहरा का त्यौहार होता है।

4 – दशहरा के दिन राजा राम ने लंका पति रावण का वध किया था।

5 – माता दुर्गा ने नो दिन के युद्ध के बाद दसमे दिन महिसासुर का वध किया था।

6 – दशहरा के दस दिन कही जगह पे रामलीला का आयोजन होता है।

7 – दिल्ली के रामलीला मैदान में रावण, कुम्भ कर्ण एवं मेघनाद का पुतला जलाया जाता है।

8 – दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जित का पर्व है।

9 – हमारे देश में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है।

10 – दशहरा का त्यौहार हमें सत्य की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

 

दशहरा का  यह निबंध (Dashahara par Nibandh) आशा है आपको पसंद आया होगा। किसी भी कक्षा के विधार्थी यहाँ से दशहरा पर निबंध तैयार कर सकता है।

 

 

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