Dipawali Nibandh – दीपावली निबंध हिंदी में

यहाँ दीपावली निबंध (Dipawali Nibandh) पर विस्तृत रचना है। यहाँ से किसी भी कक्षा के लिए आप निबंध तैयार कर सकते हो। यहाँ 100 शब्दों से लेकर 800 शब्दों तक का निबंध लेखन है। Dipawali Nibandh परीक्षा में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले निबंध में से एक है। आशा है ये आपके लिए मदगार हो।


 

Dipawali Nibandh – दीपावली पर निबंध 

 

प्रस्तावना

भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व है। कहते है हमारे ऋषिमुनियों ने हज़ारो साल तपस्या की है। और  उन्होंने मानव जीवन के रूप रेखा तैयार की। मानव जीवन में उत्सवों माँ का होना जरुरी है।

बिना उत्सवों का जीवन नीरस होगा। मानव जीवन में रस भरने के लिए, जीवन को आनन्दित एवं ऊर्जावान बनाने के लिए हमें उत्सव दिए गए। मनुष्य उत्सवों से प्रेरणा लेकर मानवता की रह पर आगे बढ़ सकता है।

हिन्दू धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में  होली, धुलेटी, जन्माष्टमी, दशहरा जैसे बहुत त्यौहार है। इन सब में दीपावली को त्योहारोका राजा कहा जाता है। राजा का स्थान सबसे ऊपर होता है। राजा प्रजा के लिए प्रेरणा दायी होता है। दीपावली का त्यौहार भी मनुष्य के लिए प्रेरणा दायी है।

 

दीपावली की तैयारियां

हनारे भारत में दीपावली धूम धाम से मनाते है। इस त्यौहार को मनाने की तैयारियां काफी दिन पहले शरू हो जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुशार आश्विन मास के अमावश्या के दिन दीपावली का त्यौहार होता है ।

हमारे देश में दीपावली के समय बच्चो को शाला में छुट्टी होती है। ये वेकेशन लम्बा होता है और सरकार द्वारा आयोजित होता है। दीपावली के दिनों में बच्चे मामा के घर जाना पसंद करते है।

दीपावली के पहले हम अपने घरो की साफ सफाई करते है। घरो का रंग रोगन करते है।

घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपडे खरीदते है।

बच्चो के लिए फटाके और फुलझड़िया खरीदते है।

दीपावली के पांचो दिन आँगन में रंगोली होती है। रंगोली के कलर अवं थीम की तयारी की जाती है।

घरमे नयी नयी मिठाईया बनायीं जाती है। अलग – अलग वेराइटी का नास्ता बनाया जाता है।

दीपावली पांच दिनों का त्यौहार है। सभी पांच दिनों का प्लानिंग किया जाता है।

 

पांच दिनों का दीपावली त्यौहार

दीपावली हमारा सबसे बड़ा त्यौहार है। यदि दिनों के हिसाब से देखे तो ये पांच दिनों का त्यौहार है। इसमें धनतेरस, कालीचौदस, दीपावली, नया साल एवं भाईदूज। पांच दिनों का महापर्वे उत्तम आनंद दायक होता है। सभी लोग इसे हर्षो उल्लास से मनाते है। दीपावली के पांच दिनों में, हरेक दिन का विशेष महत्व है। 

 

धनतेरस

धनतेरस दीपावली के त्यौहार का पहला दिन है। खुशियों की शरुआत यहाँ से हो जाती है। धनतेरस का दिन लक्ष्मी माता का दिन माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी माता की धन के स्वरुप में पूजा की जाती है। लक्ष्मी हमारे जीवन की जरूरियात है। बिना लक्ष्मी का निर्धन जीवन असह्य होता है ।

लक्ष्मी से जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है। माता लक्ष्मी की कृपा हमारे पर सदा बानी रहे इसीलिए पूजन किया जाता है। साथ में यह प्राथना की जाती है की हमारे घर की लक्ष्मी पवित्र हो। हमारे घर में आने वाली लक्ष्मी शुद्ध होनी चाहिए। कभी कोई गलत रास्ते से हमारे घर में प्रवेश न हो ऐसी सबबुद्धि की कामना की जाती है। 

 

कालीचौदस

दीपावली के महा पर्व में धनतेरस के बाद का दिन कालीचौदस होता है। इस दिन काली माता की पूंजा होती है। महाकाली माता शक्ति की देवी है। इस दिन शक्ति की उपासना की जाती है।

मनुष्य जीवन को सफल होने के लिए जीवन में शक्ति चाहिए। हमारे मन और बुद्धि को स्थिर रखने के लिए मानशिक शक्ति चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए शारारिक शक्ति चाहिए। इसीलिए कालीचौदस के दिन शक्ति की उपासना की जाती है।

संसार की मायाजाल जटिल है। उसमे मनुष्य का मन कही बार विचलित हो जाता है। माँ काली से इस दिन यही प्राथना करनी है की माँ, हमारे मन को मजबूत बनाये। हमारी बुद्धि को भ्रष्ट होने से बचाये।

 

दीपावली

पांच दिनों के त्यौहार तीसर दिन दीपवाली का दिन होता है। जिसके नाम से यह त्यौहार प्रचलित है। दीपावली याने दिप का त्यौहार है। इस दिन दिप प्रज्ज्वलित होता है,  घर हो या दुकान, को रहषनी से जगमगाता है। ये त्यौहार हमें प्रेरणा देता है।

दिप का काम अँधेरे को दूर करना है। दिप चारो तरफ रौशनी फैलता है। मानव को भी दीपक से प्रेरणा लेनी चाहिए की हमारा जीवन दीपक की तरह होना चाहिए। दीपक खुद जलता है और दुसरो को उजाला प्रदान करता है। अँधेरा दूर करता है। हमारा जीवन भी इस तरह होना चाहिए । हमें दुसरो की तकलीफ एवं दुखो को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

पौराणिक कथा के अनुशार भगवान राम के आगमन के समय अयोध्या वासिओ ने दिप प्रगटाये थे। उसका कारन भी राम का जीवन है। त्याग और समर्पण की भावना। मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम का जीवन अनुकरणीय है। आज के दिन उन्हें यद् कर हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

 

नयासाल

हिन्दू पंचांग के अनुशार दीपावली का दिन साल का आखरी दिन होता है। उसके दूसरे दिन नायसाल शुरू होता है। साल के पहले दिन लोग सुबह जल्दी उठ जाते है। इस दिन लगभग हरेक व्यक्ति नए वस्त्रो में सज्ज होते है। स्नान आदि करके नित्यपूजा करते है। घरमे सभी वडिलो से आशीर्वाद लेते है। और मंदिर जाके भगवान की पूंजा अर्चना करते है।

इस दिन घर में पकवान बनाये जाते है। लोग एक दूसरे के घर मिले जाते है। और नये साल की सुभकामनाये देते है। साल का पहला दिन शुभ रहे अच्छा रहे, भक्तिभाव से पूर्ण रहे ये सबकी कोशिश होती है।

नायसाल का ये दिन हमें काफी कुछ सिखाता है। ये दिन ये साल नया तब है जब हम कुछ नया करेंगे, कुछ अच्छा करेंगे। ये दिन पिछले साल हुई गलती को याद करने का दिन है। वो गलतिया इस साल न हो ये संकल्प करने का दिन है।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए संकल्प लेना जरुरी है। और संकल्प के साथ दृढ़ निष्ठां से काम करना जरुरी है। हमें अपने मनुष्य जीवन को उन्नति की तरफ ले जाने के लिए इस दिन संकल्प लेना चाहिए। और मानव जीवन को नयी रह दिखानी चाहिए।

 

भाईदूज

दीपावली के महापर्वे का ये आखरी दिन है। भाईदूज के दिन भाई बहन के पवित्र प्रेम का उत्तम दिवस है। भाई अपने बहन को मिलने उसके घर जाता है। इस दिन बहन अपने प्राण प्यारा भाई का इंतजार करती है।

भाई कोई भेट या सोगड़ साथ ले जाता है। बहन भाई के लिए पकवान और मिठाईया बनाती है और प्यार से खिलाती है। इस दिन हमें भाई बहन के निश्वार्थ प्रेम के दर्शन होते है।

 

निष्कर्ष

दीपावली का ये त्यौहार मानव जीवन को नयी राह दिखता है। जीवन में लक्ष्मी का महत्व, सद्गुणों का महत्व, शक्ति की आराधना, प्रेम और समर्पण भावना, संकल्प बध्ध जीवन से प्रगति की तरफ जाना और मनुष्य से निश्वार्थ प्रेम करना सिखाता है।

आनंद उत्साह के साथ दीपावली का त्यौहार मनाना चाहिए। जीवन को बदलने वाले ये महापर्वे से जो भी ले सके लेना चाहिए।

 

Dipawali Essay in Hindi

 

हमारे देश में अनेक त्यौहार मनाये जाते है। सभी त्यहारो में दीपावली की शान निराली है। दीपावली को हम हिन्दू त्यहारो का राजा कह सकते है। दीपावली प्रकाश का पर्व है। यह त्यौहार आश्विन मास की अमावश्या के दिन मनाया जाता है।

दीपावली के बारेमे कही मान्यताए प्रचलित है। दीपावली का सम्बन्ध भगवन राम से है। भगवन राम चौड़ा साल का वनवास समाप्त करके वापस अयोध्या लोटे थे। लंका में रावण को हारने के बाद सीताजी और लक्ष्मण के साथ राम अयोध्या लोटे थे।

अयोध्या वासी वनवास गए श्री राम की वेदना में जी रहे थे। जैसे ही उनको श्री राम की वापस आने की खबर मिली पूरी अयोध्या नगरी आन्नद विभोर हो गयी। राम के आने की ख़ुशी में पूरी अयोध्या में रौशनी कर दी गयी। पूरी अयोध्या जगमगाने लगी।

राम जब अयोध्या वापस लोटे तब आश्विन माह की अमावश्या थी। उस दिन से लेके आज तक लोग इस दिन को दीपावली का त्यौहार मनाते है।

एक मान्यता यह भी है की युधिष्ठिर ने राज्य सूर्य यज्ञ की पूर्ण होती की थी। इस राज सूर्य यज्ञ की पूर्ण होती में भी ख़ुशी मनाई गयी थी। यह दिन भी अश्विन माह की अमावश्या ही थी। लोग इस दिन दिप प्रज्जवलित करके खुशिया मनाते है।

दीपावली हुन्दुओं का बड़ा त्यौहार माना जाता है। कुछ दिन पहले ही इसकी तैयारियां की जाती है। लोग अपने अपने घर को की साफ सफाई करते है। कलर काम करवाते है। घर को सजाते है। नए नए कपडे सिलते है। महिलाये गहने खरीदती है। हर घर में पकवान और मिठाईया बनती है।

बच्चे फुलझड़िया जलाते है।

फटाके फोड़े जाते है। नये कपडे पहनके सबसे पहले मंदिर भगवान को प्राथना करने जाते है। बाद में घर के वडील को प्रणाणं किया जाता है। और सभी बड़ो का आशीर्वाद लिया जाता है।

दीपावली का त्यौहार धनतेरस से लेके भाई दूज तक होता है। यह पांच दिन हर्षोल्लास से बिताया जाता है। पांचो दिन खूब धूम धाम  रहती है। घरो पर रंगीन बल्बों की रौशनी की जाती है। दरवाजे पर नए नए तोरण बांधे जाते है।

आँगन में हर रोज नयी रंगोलिया बनायीं जाती है। पांच दिन तक गली महोल्लो  फटाके, फुलझलिया से रोशन रहता है।

अमावश्या की रात दीपावली की रात होती है। इस दिन शुभ मुहर्त में व्यापारी लक्ष्मीजी गणेशजी तथा बहियो की पूजा करते है। दीपावली के दूसरे दिन नया वर्ष का आरम्भ होता है।

लोग अपने मित्र सम्बन्धियों सबको नए वर्ष की शुभकामनाये देते है। दूर रहने वाले प्रियजनों को बधाई सन्देश भेजते है। भाईदूज के दिन भाई अपनी बहन के घर जाता है। बहन उसे पकवान खिलाती है और भाई कोई उपहार देता है। ये भाई बहन के पवित्र प्रेम का दिन है।

दीपावली प्रकाश का सुन्दर पर्वे है। यह पर्व हमारे घर आंगन और अन्तः करण को जगमगाता है। अँधेरे में उजाला फ़ैलाने वाला यह त्यौहार हमारे जीवन में नया सन्देश लेके आता है।

 

 

दिवाली पर निबंध – Diwali Essay in Hindi

 

दिवाली का त्यौहार भारत में और अन्य कई देशो में धूम धाम से मनाया जाता है। दिवाली को दीपो का त्यौहार भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जिसे भारत में बहुत ही हर्ष उल्लास  मनाया जाता है। कहा जाता है  भगवान श्री राम ने रावण को पराजित करके और अपना चौडा साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लोटे थे।

भगवान राम के वापस आने की ख़ुशी में वहां के सभी लोगो ने दीपक जलाये थे। तब से लेके अब तक हरसाल इस दिन को दिवाली के त्यौहार को बच्चे बूढ़े और बड़े हर कोई बहुत ही ख़ुशी और धूमधाम से मनाते है।

दिवाली की रात पूरा भारत जगमगाता है।  लोग फटाके भी जलाते है।  दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जित का प्रतिक है। भारत ही नहीं बल्कि और भी देशो में दिवाली का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

दिवाली का त्यौहार सभी लोगो को खुशिया देने वाला त्यौहार है।

इसी दिन को दीपावली भी कहा जाता है। यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर में मनाया जाता है।

ऐसा कहा जाता है की भगवान राम चंद्र चौड़ा साल का वनवास पूरा करके दिवाली  के दिन अयोध्या वापस लोटे थे। इस ख़ुशी पर अयोध्या का हर घर रास्ते फूलो से और दियो से सजाया था। तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है।

दिवाली का त्यौहार धनतेरस से भाईदूज तक पांच दिन मनाया जाता है। दिवाली आने पर लोग अपने घर दुकान कार्यालय अदि को रंग बेरंगी फूलो से सजाते है।

दिवाली के समय स्कूल में भी छुट्टी होती है। घर घर में स्वादिस्ट पकवान बनते है जैसे लड्डू ,करंजी, अनरसे, जलेबी अदि बनवाये जाते है।

बच्चो को यह पकवान बहुत ही पसंद होते है। लोग नए बर्तन सोने चंडी के कपडे अदि नयी चीजे भी खरीदते है। लोग दियो की रौशनी से घर को सजाते है। एक दूसरे को मिठाई बाटते है और अतिथि घर आते है।

किसान दिवाली में गाय भेंसो की पूजा करते है। वेपारी लोग नए कहते लिखते है। लोग देवी लक्ष्मी माँ देवी सस्वती माँ और भगवान गणेश जी की पूजा करते है। दिवाली में ठण्ड की शरुआत होती है।

हरसाल दिवाली आती है। और चली जाती है मगर मन में एक नयी उमंग भर जाती है। दिवाली सभी का प्यारा एकता भाईचारा और आनंद का सन्देश देकर जाती है।

 

Dipawali ka Nibadh- दीपावली पर निबंध 

 

दिवाली हमारे देश का प्रमुख त्यौहार है। छोटे बड़े आमिर गरीब सबके लिए यह आनंद का दिवस है। दिवाली के कुछ दिन पहले से ही लोग अपने घरो की सफाई करने लगते है। वे नए कपडे सिलाते है गहने खरीदते है और पकवान बनाते है। लोग अपने घरो को दीपक से सजाकर इस त्यौहार का स्वागत करते है।

आश्विन महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी से कार्तिक शुक्लपक्ष द्रितीया तक दिवाली धूम धाम से मनाया जाता है। तयोदशी के दिन लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते है। इस दिन रात को व्यापारी अपने हिसाब किताब की और चोपड़ा का पूंजन करते थे।

दिवाली के दूसरे दिन नए वर्ष का आरम्भ होता है। इस दिन लोग एक दूरसे से मिल कर नए वर्ष की शुभकामनाये प्रगट करते है। भाईदूज के दिन बहन भाई को अपने घर पर बुलाती है। उसे तिलक करती है और उसकी आरती उतरती है।  वह  को मिठाईया खिलाती है।

दिवाली बच्चो के लिए फटाको मिठाईया और नए नए कपड़ो का त्यौहार है। सचमुच दिवाली एक जीवन का सन्देश लेके आता है।

 

दीपावली पर निबंध 10 लाइन – Dipawali Nibandh

 

1 – दीपावली हिन्दूओ का मुख्य त्यौहार है।

2 – दीपावली को त्योहारों का राजा कहा जाता है।

3 – दीपावली पांच दिनों का पहा पर्व है।

4- दीपावली में नए कपडे पहनते है।

5 – दीपावली में पकवान और मिठाईया बनायीं जाती है।

6 – दिवाली में बच्चे फटके और फुलझड़िया छोड़ते है।

7 – दीपावली में पांच दिन तक दिए जलाये जाते है।

8 – पांच दिन तक आंगन में रंगीली बनायीं जाती है।

9 – दीपावली का त्यौहार भगवान श्री राम से संबधी है।

10 – दीपावली का त्यौहार हमें प्रेरणा देता है।

 

यहाँ दीपावली निबंध (Dipawali Nibandh) अलग अलग कक्षा के विद्यार्थी के लिए है। हरेक कक्षा का विधार्थी यहाँ से निबंध तैयार कर सकता है।

 

 गणतंत्र दिवस पर निबंध

 वृक्षारोपण निबंध

Spread the love

Leave a Comment