प्राइमरी कक्षा के विधार्थी के लिए यहाँ Ganesh Utsav Nibandh की रचना है। यह निबंध अक्षर स्कूल की परीक्षा में पूछा जाता है।
गणेशोत्सव पर निबंध – Ganesh Utsav Nibandh
गणेशोत्सव भादो महीने में दस दिन तक मनाया जाता है। इस महीने की शुकल पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना होती है। चतुर्थी से लेके चतुर्दशी तक यह उत्सव मनाया जाता है। लोक मान्य तिलक ने इस उत्सव को सार्वजानिक रूप दिया ।
गणेशोत्सव की तैयारियां कही दिनों पहले शरू हो जाती है। भाद्रपद की शुकल चतुर्थी के दिन बड़ी धूमधाम से मुर्तिया लायी जाती है। यह मुर्तिया रंगबेरंगी होती है।
लोग अपने घरो के स्वच्छ सुन्दर एवं सजे हुए स्थान पर इन मूर्तियों की स्थापना करते है।sangit की धुनों के साथ गणपति बापा मौरिया की ध्वनि से सारा वातावरण गूंज उठता है।
सार्वजानिक संस्थाए बड़े बड़े भव्य मंडप बनाती है । इसमें बिजली के प्रकाश की सुन्दर व्यवस्था की जाती है। सार्वजानिक गणेशोत्सव में गणेश जी की बड़ी और भव्य मुर्तिया स्थापित की जाती है। मंच पर पौराणिक कथा के दृश्य अंकित किये जाते है। वतमान घटनाओ को भी सांकेतिक रूप से दर्शाया जाता है।
प्राइमरी स्टूडेंट निबंध गानेत्सोव –
Ganesh Utsav Nibandh
उत्सव के दिनों में संध्या के समय की रौनक देखने लायक होती है। घरो तथा सार्वजनिक मंडपों में श्रद्धा एवं भक्ति भाव से गणेश जी की आरती उतारी जाती है। आरती के बाद प्रसाद बता जाता है। रत को भजन और संगीत के कार्यक्रम होते है। कही जगह नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
घरमे स्थापित गणेशजी की मूर्ति अधिकतर देघ दिन। पांच दिन, या सात दिन के बाद समुद्र में धूमधाम से विसर्जित किया जाता है। सार्वजानिक संस्थाओ की मुर्तिया चतुर्दशी के दिन अथवा सरोवर में विषर्जित की जाती है।
मूर्तियों को ट्रको अथवा ठेला गाड़िओ पर सजाकर विसर्जन के लिए ले जाते है। इस अवसर पर संगीत एवं नाच गाने के साथ भव्य जुलूस निकला जाता है। लोग गणपति बापा मौरिया कहते हुए गणेश जी से अगले साल जल्दी दर्शन देने की प्रार्थना करते है।
गणेश विषर्जन के साथ ही यह उत्सव समाप्त हो जाता है।
गणेश उत्सव का केवल धार्मिक महत्व नहीं है। यह एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्सव भी है। यह उत्सव लोगो को एकता के सूत्र में बांधता है। गणेश जी विग्नहर्ता एवं ऋद्धिसिद्धि के देवता है। उनका उत्सव मनाकर हम अपने जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने की कामना करते है।