Janmashtami Par Nibandh – कृष्णा जन्माष्टमी निबंध

Jहमारे देश के मुख़्य त्योहारों में जन्माष्टमी भी है। कही कक्षा के परीक्षा में  Janmashtami Par Nibandh पूछा जाता है। यहाँ हरेक कक्षा के लिए Janmashtami par nibandh दिया गया है। आशा है ये आपके लिए helpful होगा।


 

जन्माष्टमी निबंध – Janmashtami Nibandh 

 

Janmashtami (जन्माष्टमी)पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में मनाया जाता है। जन्माष्टमी भारत में ही नहीं विदेशो में बेस भारतीय भी पूरी आस्था एवं श्रद्धा से मानते है। श्री कृष्ण  युगो युगो से हमारी आस्था के केंद्र रहे है।

जन्माष्टमी का मनुष्य जीवन में बहुत अधिक महत्व है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है की शास्त्रों में उनके व्रत को व्रत राज कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से कही व्रतों का फल मिल जाता है।  इस दिन श्री कृष्ण की पूजा करने से। संतान प्राप्ति, दीर्घायु तथा सुख समृद्वि की प्राप्ति होती है।

कृष्णा जन्माष्टमी पर्व का महत्व 

श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था जो की बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे थे। एक दिन आकशवाणी हुई की उसकी बहन देवकी का आठवा पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन को उसके पति सहित काल कोठरी में दाल दिया।

कंस ने  देवकी के कृष्ण से पहले सात बच्चो को मार डाला। जब देवकी ने कृष्ण जी को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया की वे कृष्ण जी को गोकुल में यशोदा माता और नंदबाबा के घर पहुचाये। उसका पालन पोषण यशोदा माता की देख रेख में हुआ। तभी से उनके जन्म की ख़ुशी में प्रतिवर्ष जन्माष्टमी मनाई जाती है।

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनों सामर्थ्य के अनुशार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसीलिए हम अपनी श्रद्धा के अनुशार व्रत रखे। पुरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें कृष्ण जी के संदेशो को  जीवन  अपनाना चाहिए।

 

जन्माष्टमी निबंध – Janmashtami Par Nibandh in Hindi 

 

Janmashtami ( जन्माष्टमी) हिन्दुओ का मुख्य त्यौहार है। यह त्यौहार पुरे भारत में  हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।  जन्माष्टमी तहेवार को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म से जुड़े लोग श्री कृष्ण को अपना ईस्ट मानते है।

श्री कृष्ण का जन्म दिवस हर वर्ष भरपाद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। उसका दिन की मध्यरात्रि को मथुरा में हुआ था।

भगवान कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवे पुत्र थे। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। 

मथुरा और वृन्दावन में श्री कृष्ण का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। मथुरा और वृन्दावन दुनिया भर में प्रसिद्ध है क्युकी, भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन इसी  जगह बिताया था। भगवान कृष्ण का जन्म दुनिया को बुराई से मुक्त करने के लिए हुआ था।

भक्त अपने घरो को रौशनी या दियो से सजाते है और भगवान श्री कृष्ण  की पूजा करते है। हिन्दू मंदिरो घरो और सामुदायिक केन्द्रो में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते है।  महाराष्ट्र में जन्माष्टमी त्यौहार दहीहांडी के लिए प्रचलित है।

श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न अनुस्थान करते है। भक्त विभिन्न धार्मिक गीतों पर नृत्य करते है। इस त्यौहार पर राष्ट्रीय छुट्टी रखी जाती है। भारत में यह जन्माष्टमी का त्यौहार सबसे सुखद त्योहारों में से एक है।

 

जन्मास्टमी पर निबंध- Krishna Janmashtami Par Nibandh

 

प्रस्तावना

जन्माष्टमी एक जन्मदिन का महोत्सव है। पर ये शविशेष है। विश्व को चलाने वाली वैश्विक शक्ति का जन्मदिन है। जगत का पालन पोषण करने वाली शक्ति का जन्मदिन है। जो कहती है में ही नभ हु, में ही धरा, में ही पाताल हु। मानव को कर्म अकर्मण्य को समजाने वाले, ज्ञान और भक्ति की रह दिखने वाले, मनुष्य को मानव बनाने की दिशा देने वाले भगवान श्री कृष्णा का जन्मदिन है। जाहिर है ये जन्मदिन धूमधाम से मनाना चाहिए। और सनातन हिन्दू धर्म इसे उत्साह पूर्ण मनाते है।

कृष्णा जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ?

कृष्णा जन्माष्टमी (Janmashtami) भगवान श्री कृष्णा की जन्म तिथि है ? भाद्रमास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। श्री कृष्णा को सनातन हिन्दू धर्म में भगवान माना जाता है। इस विश्व की उत्पति से अंत तक सभी युगो की जिम्मेदारी वो खुद लेते है। जगत में दुराचारी और पापीओ बढ़ जाते है। तब उसे वो खुद पृथ्वी पे मानव के रूप में जन्म लेते है।

अष्टमी के दिन मध्य रात्रि को जन्म हुआ था। मथुरा के जेल में माता देवकी और पिता वासुदेव के आठ में संतान के रूप में जन्म लिया। भगवान कृष्णा ने अपने जीवन की शरुआत से ही कही लीला ओ को प्रदर्शित किया। बचपन से लेके जीवन का अंत तक मानव कल्याण के लिए जीते रहे । इतना ही नहीं विश्व को गीता नाम का उपनिषद दिया। 

दुनिया के इतिहास में एक अलौकिक पात्र मानव के रूप में मिला था। इस विश्वनियंता का जन्मदिन मनाना हरेक के लिए भाग्य की बात होती है । हिन्दू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाई जाती है। 

 

कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है ?

 जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का इंतज़ार सबको रहता है। एक तो यह त्यौहार पवित्र सावन मास में आता है। पूरा वातावरण भक्तिमय बन जाता है। जन्माष्टमी के दिन लोग सुबह में जल्दी उठ जाते है। स्नान करके दैनिक पूजा पाठ किया जाता है। लोग उस दिन स्वच्छ और नए कपडे पहनते है। भगवान श्री कृष्ण के मंदिर जाते है।

कृष्ण भक्तो के द्वारा सुबह में जल्दी प्रभात फेरी होती है। जिसमे भगवान श्री कृष्णा के भजन का गान होता है।

भगवान श्री कृष्णा के भक्त उस दिन उपवास रखते है। भगवान वासुदेव के मुखारविंद से निकली ज्ञान गंगा गीता का पठन किया जाता है। मंदिरो में मानव महेरमण उमड़ पड़ता है। मंदिर की हरेक संस्था में अलग – अलग कार्यक्रमों का आयोजन होता है। कही भजन कीर्तन तो कही गरबा का आयोजन होता है।

भगवान श्री कृष्णा के लिए शोभा यात्रा निकली जाती है। हजारो लोग इसमें शामिल होते है। शोभायात्रा के दौरान गावो में अलग – अलग जगह मटकी बांधी जाती है। इस मटकी फोड़ का कार्यक्रम भी होता है।

शोभायात्रा के दौरान भगवान कृष्ण के स्लोगन से वातावण कृष्ण मई बन जाता है। नन्द घेर आनद भयो जय कनैया लाल की। जय कनैया लाल की हठी घोडा पालकी के नाद से वातावरण गूंज उठता है। 

पुरे दिन रात बारे बजे तक कार्यक्रमों का आयोजन होता है । रात को बारे बजे भगवान कृष्ण का जन्म होता है। सब लोग पारणा झुलाते है। और  पंजरी का प्रसाद बाटा जाता है। 

 

कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाये 

ये प्रश्न काफी लोगो के मनमे उपस्थित होता है। कृष्ण जन्म मनाना एक भक्ति का भाग है। भगवान के नजदीक जाने का एक जरिया है। हमें इसे धूम धाम से मनाना चाहिए पर कही जगह धर्म में धतिंग घुस जाता है। जैसे कुछ लोग जन्मष्टमी के दिन जुआ खेलते है। और कहते है की भगवान भी खेलते थे।

ये धर्म में घुसाया हुआ एक धतिंग है। इसे दूर करना चाहिए। कृष्णा भगवान ने वैश्विक मानव के लिए गीता दी है। जो हमें जीवन में सही रह दिखती है। हर सवाल का जवाब देती है। हर मुसीबत से बहार निकल ने का रास्ता दिखती है। जन्माष्टमी के दिन ये गीता का पठन होना चाहिए। इतना ही नहीं गीता हमारे जीवन में के कार्य में दिखनी चाहिए। 

ज्ञान योग, भक्तियोग, कर्मयोग हमें गीता में भगवान श्री कृष्ण ने दिए है। इसे हमें समझना चाहिए तब हम सही मानने में जन्माष्टमी मनाने लायक बन जायेंगे।

भगवान कृष्ण के विचार हमें गांव गांव, घर घर तक पहुंचने चाहिए। जन्माष्टमी पे ऐसे संकल्प लेने चाहिए।  

जन्माष्टमी दही हांड़ी 

जन्माष्टमी का विशेष महत्व महाराष्ट्र में है। मुंबई और अलग-अलग क्षेत्र में ऊंचाई पे दही हांड़ी बांधी जाती है। इसे तोड़ने के लिए ग्रुप होते है। दही हांड़ी तोड़ने वाले ग्रुप को इनाम दिया जाता है। 

निष्कर्ष 

विश्व नियंता का जन्मदिन जरूर मनाना चाहिए। पर उसके बताये कदमो पे चलने की तयारी भी होनी चाहिए। जन्मदिन मनाने के लिए जुआ शराब का इस्तेमाल या दही हांड़ी एक व्यापर नहीं बननी चाहिए। निश्वार्थ भाव से भक्तिभाव पूर्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनांना चाहिए। और हमें मनुष्य जीवन को सार्थक करना चाहिए।

 

जन्माष्टमी पर 10 लाइन निबंध 

1- जन्माष्टमी हिन्दुओ का पवित्र त्यहार है ।

2- यह त्यौहार भाद्रमास की अष्टमी के दिन मनाया जाता है ।

3- जमानष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

4 – जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन मंदिरो को सजाया जाता है। 

5- लोग सुबह जल्दी उठकर भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के लिए जाते है।

6- जन्माष्टमी मथुरा, वृन्दावन और द्वारका में विशेष महत्व के साथ मनाई जाती है।

7- जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन शोभायात्रा और भजन कीर्तन होता है।

8- छोटे बच्चो को कृष्ण बनाकर मटकी फोड़ कार्यक्रम होता है।

9- भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकला अमृत रूपी गीता का पठन किया जाता है।

10- मध्यरात्रि को भगवान श्री कृष्ण को पारणा झुलाया जाता है। नन्द घेर आनंद भयो जय कनैया लाल की के नारे गूंजते है।

 

Varsha ritu Nibandh – वर्षा ऋतु पर निबंध

Rakshabandhan Par Nibandh – रक्षाबंधन

Dashahara Par Nibandh – दशहरा निबंध

Krishna Janmashtami Par Nibandh  हरेक कक्षा के विधार्थी तैयार कर सकते है। यहाँ 100 शब्दों से लेकर 600 शब्दों तक का निबंध उपलब्ध है।

Spread the love

Leave a Comment