Meri Maa Nibandh in Hindi – मेरी माँ पर निबंध

यहाँ माँ  पर निबंध लिखा गया है। ये हरेक कक्षा के विधार्थी के लिए उपयुक्त है। Meri Maa Nibandh in Hindi में 100 शब्दों से लेकर 600 शब्दों तक का निबंध लिखा गया है। आशा है ये आपके लिए helpful होगा।

 

मेरी माँ पर निबंध -Meri Maa Nibandh in Hindi

Hindi Essay Meri MAA

 

प्रस्तावना 

माँ शब्द की गहराई को कोई नहीं नाप सकता। आदि – अनादि काल से माता का पुत्र प्रेम जग विख्यात है। जिस माँ के प्रेम की गाथा स्वयं भगवान गाता हो। ऐसी माँ के प्रेम की तुलना किसी से करना उचित नहीं होगा। माँ प्रेम की पराकष्ठा होती है। त्याग और समर्पण की मूरत होती है। जन्म लेने वाले हर जिव के लिए माँ भगवान की अनमोल भेट है। जरूर है बड़े बनने के बाद उस मेक ऋण चुकाने की। 

 

गर्भावस्था में माँ का कार्य 

हम समजते है, हमारा जन्म हमारे जीवन की शरुआत है। दरअसल ये जन्म पृथ्वी पर हमारे अवतरण की एक तिथि है। एक प्राणी के रूप में हमारा जन्म माता के पेट में ही हो जाता है। पुरे नो महीने तक माता हमें अपने कुख में लेकर जीती है।

जब हम माता के पेट में होते है, तभी से माता आने वाले बच्चे के लिए सोचना शरू कर देती है। पेट में पल रहे प्राण को किसी तरह की तकलीफ न हो इसके लिए हर संभव प्रयास करती है। गर्भावस्था में माँ का खाना – पीना, रहन सहन सब बदल जाता है। माता के त्याग अवं समर्पण की शरुआत गर्भावस्था से ही शरू हो जाती है।

आने वाले मेहमान के लिए खिलो ने की तयारी पहले से ही कर देती है। उनके लिए छोटे कपडे अवं जरूरियात की चीजे बनाती है।

पेट में पल रहे हर बच्चे की हर नजाकत माँ सहन करती है।  करीब तीन किलो का वजन नो महीने तक लेकर घूमती है। प्रसूति की असहनीय पीड़ा माँ सहन करती है। फिर भी पीड़ा देने वाले बच्चे को बेहद मुहब्बत करती है।

 

छोटे बच्चे के लिए माँ का समर्पण 

बच्चे के जन्म के बाद माँ के पास दुनिया का सबसे कीमती गहना होता है। माँ अपना सम्पूर्ण उस जिव के लिए न्योछावर करने के लिए तैयार रहती है। एक छोटे बच्चे को किसी भी तरह का ज्ञान और समजन नहीं होती। उस बच्चे का सम्पूर्ण विकास करने में माँ कोई कमी नहीं छोड़ती। 

बच्चे को खाना खिलाना, साफ सुथरा रखना, लाड प्यार करना, खूबसूरत दिखाना सभी काम माँ अति उत्साह से करती है। कही किस्से सुने है की माँ खुद भूखी रहती है पर बच्चो को जरूर खिलाती है। बच्चा रोटा है तो माँ बावरी बन जाती है। दुनिया की साडी खुशिया अपने बच्चे को देने की सोचती है।

माँ बच्चे का शारारिक विकास के साथ बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास भी करती है। बच्चो में संस्कार सिंचन का काम भी माँ करती है।  अंगली पकड़कर चलना सिखाती है। तैयार कर के स्कूल में भेजती है। छोटी छोटी चीजे कैसे करनी है यह माँ सिखाती है। 

माँ हमेशा माँ होती है 

हम कितने भी बड़े हो जाये माँ के पास हम सदा बच्चे है। हमें बड़ा बानाने में का कोई कसर नहीं छोड़ती। सायद ही हमारी कोई ऐसी मांग होगी जिसे अपनी माँ ने पूरा न किया हो। मेहनत मजदूरी करने वाली माता ये भी अपने बच्चे की सभी ख्याइश पूरी करती है। अच्छी स्कूल में पढ़ाती है। माता हमेशा चाहती है की मेरा बेटा आसमान के तारे की तरह जग में चमके।

आज के चका चाँद भरी दुनिया में परिस्थिति अलग है। कुछ बच्चे बड़े होने के बाद माँ बाप को भूल जाते है। उनके उपकार को भूल जाते है। सादी हो गई बीबी आ गई तो माँ दूर हो गई। यह किस्से हम सुनते है। 

बढ़ती उम्र के साथ हम बड़े जरूर बनते है, पर माँ से बड़े नहीं। हम कितने भी बड़े हो जाये माँ के आंचल का सुख हमें कोई नहीं दे सकता।

 

माँ के साथ हुई मौजूदा समय की शर्म जनक घटनाये 

गुजरात के राजकोट की घटना का उल्लेख करना जरुरी है। एक पैरालिसिस माता को पुत्र उठाके अप्पार्टमेन्ट की छत पे ले जाता है। और वह से धक्का देकर पटक देता है। 

मुंबई की एक घटना में पुत्र अमेरिका से आता है। अपना घर का दरवाजा खोलके अंदर जाता है। तो करीब एक साल से मरी पड़ी माँ के हद पिंजर नजर आता है। 

अहमदाबाद की एक कहानी हर किसी को  सदमा पंहुचा सकती है। अमेरिका में रहता पुत्र अपने घर आता है।पुत्र माँ के नाम का मकान बेचकर अमेरिका ले जाने को कहता है।

भोलीभाली माँ पुत्र की ख़ुशी के लिए मकान बेचने को तैयार हो जाती है। मकान बेचकर पुत्र माँ को अमेरिका ले जाने के लिए एयरपोर्ट लेकर जाता है। माँ में अभी आता हु, कहकर माता को एयरपोर्ट अकेली निसहाय छोड़कर अमेरिका चला जाता है। 

ये किस्से भारतीय संस्कृति के विपरीत है। माँ की ममता के साथ धोका है। माँ के हमारे जीवन में अनंत उपकार होते है। जिसे कही जन्मो की कोशिश के बाद भी हम चूका नहीं सकते। 

मदर डे का सेलिब्रेशन 

आज मदर डे का सेलिब्रेशन सोसिलाय मिडिया पे होता है। फेसबुक what’s उप या ट्विटर पे माता का फोटो लगाकर हैप्पी मदर लिखते है। इससे आपत्ति नहीं होनी चाहिए। पर वृद्धाश्रम में भी बूढी माता की संख्या में कोई कमी नहीं दिखती।

मदर डे का उत्सव तब मनाया जाये जब देश में सभी वृद्धाश्रम बंध हो जाये। जब तक वृद्धाश्रम में माँ की आँखों से अंशु बहते है, तब तक मधर डे मनाना हमारी संस्कृति के विरुद्ध लगता है।

निष्कर्ष 

माँ एक निश्वार्थ प्रेम की मूरत होती है। वात्सल्य और प्रेम से भरपूर होती है। भगवन से पहले यदि किसी को पूंजना है, तो इसके लिए माँ ही योग्य है। हमारे पर सबकुछ न्योछावर करने वाले माँ बाप को दुखी करके कुछ हांसिल नहीं कर सकते। हमरा कर्त्तव्य है की हम उनके सपनो को पूरा करने की कोशिश करे।

 

 

मेरी माँ निबंध – Meri Maa Nibandh 

माँ शब्द कितना मधुर है । इसमें  कितनी मिठास है। इस शब्द का उच्चारण करते ही वात्सल्य की जीती जगती मूर्ति आँखों के सामने खड़ी हो जाती है। इस छोटे से शब्द में ममता का बड़ा भंडार भरा हुआ है ।

Meri  Maa दिन भर कुछ कुछ काम करती रहती है। गृहस्थी की हर चीज पर उसकी नजर होती है। वह घर की साफ सफाई करती है। वह घर को सजाकर रखती है। वह परिवार के हर सदस्य का पूरा ख्याल रखती है। वह पिताजी के हर काममे उनकी सहायता करती है। मेरी पढाई लिखाई भोजन कपडे आदि का इंतजाम मेरी माँ ही करती है।

मेरी माँ बहुत मिलानसार और दयालु है। वह घर आये रिस्तेदार और मेहमानो का प्रसन्न होकर स्वागत करती है। घर के नौकर चाकर उसे अपने माँ जैसा ही सन्मान देते है।

लबो पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक माँ है जो मुजसे खफा नहीं होती।

 

Meri  Maa  धार्मिक विचारो की है। वह प्रतिदिन मंदिर जाती है। हमारे घर में भी एक छोटा सा मंदिर है। मेरी माँ सुबह इस मंदिर में दीपक और अगरबत्ती जलाती है। भगवान के चरणों में फूल चढ़ती है और हाथ जोड़कर भगवान की पूजा करती है।

वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है फिर भी अंध विश्वास और रूढ़िओं को नहीं मानती। वह छुआछूत में विश्वास नहीं करती। मेरी माँ मन की उदार और विशाल दिल की है। वह हमें खूब पढ़ना चाहती है। उसकी इच्छा है की हम पढ़ लिखकर योग्य बने और अपने पैरो पर खड़े हो और ईमानदार और स्वाभिमानी नागरिक बने।

सचमुच मेरी माँ स्नेह ममता कर्त्वय पालन और सद्भावना की जीती जगती प्रतिमा है। मेरे जीवन का निर्माण का श्रेय मेरी माँ ही है। में अपनी माँ को बहुत प्यार करती हु। सुबह उठकर में सबसे पहले मेरी माँ का चरण छूती हु, माँ मुझे आशीर्वाद देती है।

माँ की सेवा प्यार और ममता का रन हम कभी नहीं चूका सकते।

माँ तुजे सात सात प्रणाम।

 

मेरी माँ निबंध – Hindi Nibandh Meri Maa

इस दुनिया में सबसे आसान और सबसे अनमोल शब्द है माँ । माँ दुनिया का एक मात्रा ऐसा शब्द है जिसे किसी परिभाषा की जरुरत नहीं है। असल में माँ एक शब्द नहीं अहसास है। माँ प्रेम त्याग और सेवा की मूरत है। सचमुच माँ ईश्वर का प्रति रूप है।

मेरी माँ का नाम ज्योत्स्ना है। मेरी माँ बहुत समझदार मेहनती और दयालु है। वह हर सुबह सबसे पहले उठ जाती है। वह हमारे परिवार का अच्छी तरह से ख्याल रखती है।

Meri  Maa  मेरी गुरु मार्गदर्शक अवं सबसे अच्छी दोस्त है। वह मुझे पढ़ने के साथ साथ नेकी के मार्ग पर चलने की सिख देती है। मेरी माँ मेरे मन की हर बात जान लेती है। वह मुझे मेरे सुख दुःख में साथ देती है। जब कभी में किसी समस्या में होती हु तब वह मुजमे विश्वास पैदा करती है। मेरे बुरे समाया में वह मुजमे उम्मीद की रौशनी जलाती है। वह हमेशा मुझे अच्छा इंसान बनाने के लिए प्रेरणा देती है।

मेरी माँ गरीब और असहाय लोगो की मदद करती है। आज में जो कुछ भी हु उसकी बदौलत हु।

मेरी माँ प्यार की देवी है। मेदुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा मेरी माँ पर करती हु। भगवन को धन्यवाद करना चाहती हु की उन्होंने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी माँ दी है। में बड़ी होकर दुनिया की हर ख़ुशी माँ के चरणों में ला दूंगी।

वह मा हि है जिसके रहते

जिंदगी में कोई गम नहीं रहता।

दुनिया साथ दे या न दे पर

माँ  का प्यार कभी कम नहीं होता ।

 

मेरी माँ पर निबंध हिंदी में – Meri Maa Nibandh In Hindi

मेरी माँ का नाम विलाश है वह बहुत ही प्यारी और हसमुख है। मेरी माँ हर सुबह सबसे पहले उठ जाती है। वह घरमे सबसे लिए स्वादिष्ट खाना पकाती है।

Meri  Maa  हररोज मुझे स्कूल जाने के लिए तैयार करती है। पढाई साथ मुझे सही मार्ग पर चलने की शिख देती है।

मेरी माँ हमारे पुरे परिवार का बहेतरीन तरीके से ख्याल रखती है। वह परिवार की ख़ुशी महि अपनी ख़ुशी मानती है। अगर कभी में बीमार पड़ती हु तो वह रत भर जगती है। और भगवान से मेरे ठीक होने की प्राथना करती है।

मेरी माँ मेरी अच्छी दोस्त भी है। अगर कभी में दुखी हो जाऊ तो वह पीरै बताकर मेरे चेहरे पर मुस्कराहट लाती है।

में अपनी माँ से बहुत प्यार करती हु और अपने आपको भाग्यशाली समझती हु की भगवान ने मुझे इतनी प्यारी माँ दी।

 

  मेरी माँ – Meri Maa

माँ  शब्द कितना मीठा है। इसे सुनते ही हदय प्यार से भर जाता है।

मेरी माँ ममता की मूर्ति है। वह मुझे बहुत प्यार करती है। वह मेरा खाने पिने सोने जागने आदि का पूरा ख्याल रखती है। वह हर तरह से मेरी देख भल करती है। जब कभी में बीमार पड़ती हु तब वह बेचैन हो जाती है। वह तुरंत मुझे डॉक्टर के पास ले जाती है।

मुझसे कोई गलती हो जाने पर माँ कभी नाराज नहीं होती। वह चाहती है की में बड़ी होकर अच्छी लड़की बनु और खूब नाम कमाऊ। इसीलिए वह मेरी पढाई लिखाई का पूरा ध्यान रखती है। कोई शिख या जानकारी मुझे प्यार से देती है।

मेरी माँ का स्वाभाव बहुत अच्छा है। वह खूब मेहनती है। मेक हाथ का बना हुआ खाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। में अपनी माँ से बहुत प्यार करती हु उसे खुश रखना में अपना कर्त्तव्य समझती हु।

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