सार्वजानिक जगह पे लोगो के सामने पहली बार अपने विचार रखने का मौका मिलता है, तब बहुत सरे सवाल हमारे दिमाग में खड़े होते है। Speech Kaise De, स्पीच कैसे लिखे,भाषण कैसे तैयार करे,How to write & Deliver Speech, स्पीच को कैसे प्रभावी तरीके से डिलीवर करे।
ऐसे सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेंगे। इसे पढ़ने के बाद भी यदि आपको कोई कन्फ्यूजन है, तो आप कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे। हम साथ में मिलके उसे क्लियर करेंगे।
स्पीच कैसे दे – How to Deliver Speech
इस आर्टिकल से रिलेटेड कुछ अंश इस ऑडियो में शामिल हे आपको जरूर पसंद आएगा।
भाषण किसे कहते है ?
किसी विषय को लेकर अपनी सोच,अपना ज्ञान, अपनी विचारधारा लोगो सामने, पब्लिक के सामने रखने का अवसर। अपनी भावनाओ को आवाज और हावभाव के द्वारा लोगो के सामने प्रदर्शित करने का एक जरिया।
भाषण का प्रभाव क्या होता है
इसमें एक वक्ता लाखो दर्शको को मंत्र मुग्ध भी कर सकता और बोर भी कर सकता है। दर्शको के चेहरे पे मुश्कान भी ला सकता है और मायूसी भी ला सकता है। कोई स्पीच लाखो लोगो के लिए प्रेरणा भी बन सकती है,और अभिषाप भी बन सकती है।
हमने श्रोता के रुप में कोई न कोई जनसभा में हाजरी लगायी होगी। कही बार जनसभा में इतना सन्नाटा होता है, की एक पिन गिरने की आवाज भी पता चल जाती है।
वही दूसरी तरफ कभी इतना शोर होता है, की वक्ता क्या बोल रहा है ये सुनाने में भी परेशानी होती है।
दोस्तों ये सब परिस्थितिया वक्ता पे ही आधार रखती है। वक्ता द्वारा परोसे जाने वाले विचार पे आधार रखता है। जिसमे मेहनत, बोलने का तरीका,अपने हाउभाव,प्रेजेंटेशन,आत्मविश्वास जैसे कलात्मक गुणों में प्रवीण होना जरुरी है।
Speech देने का अवसर लगभग सभी के जीवन में आता हे। कोई इस अवसर को सीढ़ी बनाके ऊपर चला जाता हे। तो कोई श्रोता बनके पूरी जिंदगी सुनता रहता हे।
स्पीच कहा हो सकती है
1- एक विध्यार्ती के तोर पे स्कूल और कॉलेज में.
2- एक अध्यापक के तोर पे विद्यार्थी के सामने.
3- कोई सामाजिक प्रसंग में.
4- फॅमिली इवेंट में.
5- सत्संग में आध्यात्मिक स्पीच हो सकती है.
6- चुनाव में पोलिटिकल स्पीच होती है.
7- आर्गेनाइजेशन इवेंट की स्पीच हो सकती है.
8- विदाई समारम्भ की स्पीच होती है.
स्पीच देने की कला को क्यों विकसित करना चाहिए।
- अपनी सोच अपने विचार दुनिया के लोगो तक पंहुचा सकते है।
- हम अपनी बातो से लोगो को कन्वेन्स कर सकते है।
- हमारा पेशा कोई भी हो ये स्किल हरेक में काम आने वाली है।
- यदि हम अच्छे वक्ता है, तो हमें बोलने के मौके भी ज्यादा मिलते है। जिससे हमारी पहचान बढ़ती है।
- हमारे कर्रिएर को आगे बढ़ने की तक ज्यादा मिलती है।
- स्टेज पे जाके बोलने में काफी लोग गभराते है। स्टेज पे जाना पसंद नहीं करते। यदि हम ये कर पाते है, तो हमारा आत्माविश्वास बढ़ता है।
- एंकर या वक्ता के तोर पे एक सुनहरा कर्रिएर भी बना सकते है।
- स्पीच देना, भाषण देना एक कला है। इसे कोई भी विकसित कर सकता है।
यदि हम एक बेहतर वक्ता बनाना चाहते है तो निशंक बन सकते है। पर याद रहे हमारी कोशिश ही हमें मंजिल तक पहुंचा सकती है।
स्पीच (भाषण) से पहले क्या होता है ?
1 – हमें डर लगता है। स्पीच और भाषण के शब्द से ही दूर भागते है।
2 – हम इतनी सारी पुब्लिक के सामने नहीं बोल पाएंगे।
3 – यदि हमसे गलती हुई तो सामने बैठे श्रोता हम पे हसेंगे।
4 – तैयारी तो करते है पर नर्वस हो जाते है।
5 – स्टेज पे जाने से पहले हमारे हदय की धड़कन तेज हो जाती है।
6 – बोलने की शरुआत करते समय हमारे पैर कांपने लगते है।
भाषण से पहले हमारी सोच क्या होनी चाहिए
दोस्तों शरुआत में समस्याएं सब के साथ होती है। अच्छे वक्ता भी इन परिस्थितियों से गुजर चुके है। Speech kaise de ये सवाल भी सबके सामने खड़ा होता है। एक फ़िल्मी डायलॉग है, “जो डर गया सो मर गया”। यदि आप चाहते है की आप अच्छे वक्ता बने तो चिंता को छोड़ आगे बढ़ने का प्रण लीजिये सफलता आपके कदमो में होगी।
हमारे सामने कितनी पब्लिक है, ये एक बार भाषण शरु होने के बाद कोई मान्य नहीं रखता। ध्वनि का प्रवाह अपने आप निकलता रहता है। सामने 100 है या 1000 कोई फर्क नहीं पड़ता।
हा एक अच्छे वक्ता हो जाने के बाद कम लोगो में बोलने की शर्म जरूर आती है।
“कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना”। हमें यहाँ सिर्फ अपने बारे में सोचना है। हम किस तरह आगे बढे ,कैसे में मेरी स्पीच को न्याय दे शकु। जनता क्या करेगी, क्या कहेगी,क्या सोचेगी उससे परे रहना है।
हम सब जानते है, “इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है“.और किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहे तो हमारी मेहनत, हमारी कोशिश ही हमें मंजिल तक पहोचा सकती है। और हम उन लोगो से बहुत बेहतर है जिसने कभी स्टेज पे आने की हिम्मत नहीं की है।
अपने जीवनकाल में लगभग सभी को Speech देने का अवसर मिलता है। कोई इस अवसर को तक, एक मौका समज के पकड़ लेता है। और सफलता के शिखर चढ़ने लगता है। कुछ ऐसे भी लोग है जो पुरा जीवन श्रोता बनके सुनते रहते है।
हमें विषय की तैयारी ऐसे करनी है की, यदि हमें कोई प्रश्न पूछा जाये तो हम आसानीसे जवाब दे सके। हमारे हाउभाव, हमारे आत्मविश्वास में कही भी कमी नहीं दिखनी चाहिए।
स्पीच कैसे लिखे – How to Write speech
Speech Kaise De ये सोचने से पहले हमें ये सोचना है की स्पीच कैसे लिखे ?
एक परफेक्ट स्पीच लिखने के लिए हमें कही मुद्दों पे अध्ययन करना पड़ता हे। जैसे की…
- अपने दर्शको के बारेमे सोचे।
- Introduction – प्रस्तावना, परिचय
- अपना परिचय,उपस्थित सभी का सन्मान,विषय
- Main Content – स्पीच का मुख्य भाग
- विषय की गहराई, सच्चाई, समस्या और सुझाव, Accuracy ऑफ़ language, उदहारण, अच्छे पुस्तक या महान व्यक्ति के सुविचार,
- Conclusion – समापन
- अंत किस तरह करना हे।
1 – अपने दर्शको के बारेमे सोचे
जब हम कोई Speech तैयार कर रहे हे, तो सबसे पहले हमें पता होना की चाहिए की कोनसे लोगो के सामने बोलना हे। कोनसे लोगो के सामने हमें अपने आप को प्रेजेंट करना हे। वो कोनसे लोग हे जो हमें सुनने वाले हे।
इसमें सुनने वाले विद्यार्थी हो सकते हे। कोई पढ़े लिखे बिज़नेस क्लास के लोग हो सकते हे। और ये भी हो सकता हे की जहा हमें अपनी स्पीच देनी हे वहा ज्यादा पढ़े लिखे लोग न हो।
भाषण लेखन करने से पहले हमें अपने दर्शको के बारेमे ज्ञान होना जरुरी हे। हम जितना उनके बारेमे जानेंगे उतना ही प्रभावी तरीके से लेखन कर पायेंगे।
और अपने आपको बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत भी कर पायेंगे।
हमें Speech के दौरान अपने विचार श्रोताओ की तरफ ले जाना हे। इसीलिए, एक बार दर्शक को परिभाषित करने के बाद, हमें अपने आप से कुछ सवाल करने होंगे जैसे की…..
इस दर्शको को क्या चाहिये ?
उनको हमसे क्या उम्मीदे हे ?
में उनकी कोनसी समस्या हल कर सकता हु ?
में अपने विचार के द्वारा उनको क्या दे सकता हु ?
विषय का चयन करे
भाषण के लिए, या तो विषय दिया जाता हे, या फिर हमें विषय निर्धारित करना पड़ता हे।
यदि हमें पहले से विषय दिया गया हे, तो हमें उसी को लेके आगे बढ़ाना हे।
पर हमें विषय का चयन करना हे, तो और भी अच्छा हे।
विषय का चयन करने लिए दो बातो का ध्यान रखे।
1 – विषय ऐसा चयन करिये जिसमे हमें रस हो, इंटरेस्ट हो।
2 – श्रोताओ के साथ जुड़ा हुआ हो।
अपना भाषण लिखे
2 – Introduction Speech- परिचय -प्रस्तावना
Introduction में तीन टॉपिक को कवर करना हे।
1 – अपना परिचय
2 – उपस्थित महानुभावो का सन्मान
3 – विषय – जिस विषय पर हमें बोलना हे।
ये अपनी Speech का पहला भाग हे। इसे लम्बा नहीं खींचना हे। यहां हमें सबके साथ सम्बन्ध बनाना हे। और अपने विषय की जानकारी देना हे।
स्टेज पे बैठे हुए आदरणीय लोगो के इतने ज्यादा नाम ना ले की श्रोता बौर हो जाये।
ये गलती अक्षर पोलिटिकल स्पीच में होती हे।
ऊपर दिए गए चरणों को पूरा करने बाद,हम भाषण लिखने की शरुआत करनी चाहिए। भाषण लिखने के लिए कुछ टिप्स हे जिसे हम यहां देखेंगे।
एक रूप रेखा के साथ अपना भाषण तैयार कीजिये।
हमारे पास एक तक होती हे, एक मौका होता हे,अपने विचार लोगो के सामने रखने का। इस तक का सर्वोत्तम तरीके से इस्तेमाल करने की कोशिश करिये।
हमें शरुआत में ही अपने दर्शको का ध्यान खींचने की जरुरत होती हे। कुछ दिलचस्प बात करते हुए अपना भाषण शरु करना है, इसी हिसाब से लिखे। एक चौंका देने वाला आकड़ा दे,एक प्रश्न पूछे,कोई घोषणा करे या लोगो का ध्यान अपनी और खींचने के लिए कोई स्लोगन का उच्चारण करे।
दर्शको की अटेंशन बगैर अपनी प्रस्तुति शरु करने की गलती नहीं करनी हे।
3- Main Content- स्पीच का मुख्यभाग
विषय पर रिसर्च करे। विषय की गहराई तक जाये।
विषय त्यय हो जाने के बाद हमें उसी पे लिखना हे। स्पीच पूरी होने तक विषय को जकड रखने की कोशिश करे।
हम जिस विषय पे बोलने वाले हे उसकी अच्छी तरीके से तैयारी होनी जरुरी हे। जितना हो सके अंदर तक जाये। और जानकारी हासिल करे।
जब हम सार्वजनिक जगह पे बोलने जाते हे तो हमें अपना 100% देना हे। इसीलिए ये बहुत आवश्यक हे की पूरी तैयारी से आगे बढे। विषय का अच्छी तरह से अध्ययन करे।
Speech में कहिपे भी जुठ का सहारा नहीं लेना हे। हमारे सामने बैठे श्रोता हमसे कुछ अच्छा लेने आये हे। हमारा कर्तव्य बनता हे की हम उसे निराश ना करे। सुनाने वाले के लिए मददगार बने।
समस्या और सुझाव
हमें जिस विषय पे बोलना हे। उसके कही नेगेटिव पॉइंट और समस्या हो सकती हे।
उसे समस्या के बारेमे जानना हे,उसपे अपनी राय रखनी हे। और उसके निवारण के लिए हम क्या कर सकते हे ये जरुर बताना हे।
उदहारण के तोर पे बढ़ती आबादी हमारे देश की एक समस्या हे। हम किस तरह से उसका निवारण कर सकते हे ये बताना आवश्यक हे।
Accuracy of Language – भाषा की सटीकता
श्रोता कोई भी हो हमारी स्पीच की भाषा और विचार के आधार पे हमारे व्यक्तित्व का अंदाजा लगा लेते हे।
इसीलिए,अपनी भाषा में शालीनता,नम्रता,ज्ञान और अपना बौद्धिक स्तर दिखना चाहिए।
हमारी भाषा श्रोता को समज में आनी चाहिए। नम्रता पूर्वक हमें अपनी विचारधारा जनता के सामने रखनी हे।
हमें अपनी छाप छोड़ने के लिए ऐसे वाक्यों का इस्तेमाल नहीं करना हे,जो दर्शको को समज में न आये।
उदहारण
हमारे विषय से सम्बंधित एक-दो उदहारण स्पीच में शामिल करिये। उदहारण से लोगो को अपनी बात समजाने का अच्छा तरीका हे। इसे श्रोता बहुत आसानी से समज सकते हे। और सतत चलने वाला भाषण से थोड़ा अलग भी लगता हे।
अच्छे पुस्तक या महान व्यक्ति के सुविचार
अच्छे पुस्तक का उल्लेख करना चाहिए। और Speech से सम्बंधित वाक्य का जिक्र करना चाहिए।
अपने विषय के अनुरुप भाषण में महान लोगो के सुविचार का उल्लेख करना चाहिए । जैसे की महात्मा गांधी, नेनसन मंडेला,स्वामी विवेका नन्द। इससे हमारी स्पीच धारदार बनती हे।
स्पस्ट शब्दों का उच्चारण करे
वक्ता के मुखारविंद से निकल ने वाले शब्द स्पस्ट होने चाहिए। बैठे हुए श्रोता को सुनने और समजने के लिए प्रयास ना करना पड़े। यदि हमारा उच्चारण स्पस्ट नहीं होगा तो हम जो कहना चाहते है वो श्रोता समज नहीं पाएंगे। हमारा बोलना निरर्थक हो जायेगा। ये कला हम प्रैक्टिस करके ही सही कर सकते है।
स्पीच को रटना नहीं है
काफी लोगो को ये आदत है की वो पूरी Speech के रटते है। स्पीच के हरएक शब्द का रटना ठीक नहीं है। इससे हम एक बार तो अच्छा बोल सकते है अपना विकास नहीं कर सकते।
अपनी Speech के मुख्य पॉइंट याद रखिये। जिस पॉइंट के जरिये हम विस्तार से वर्णन कर सकते है। हमारी यही आदत हमें एक बेहतरीन वक्ता बनाने में काम आती है।
गाँधी जयंती भाषण के लिए यहाँ क्लीक करे .
विदाई समारम्भ भाषण के लिए यहाँ क्लीक करे
स्पीच को पढके नहीं सुनाना है।
Speech को पढके सुनाना किसी भी वक्ता के लिए ये उचित नहीं है। पढ़ते वक्त हमारा ध्यान श्रोता पे नहीं होता। हमारे हाउभाउ भी कोई नहीं होते। कहि बार गलत शब्दों का उच्चारण भी हो जाता है।
ना ही पढ़ने वाले में जोश होता है,और ना ही सुनने वाले में उत्साह। इसीलिए, हम जो कहना चाहते है वो असरकारक तरीके से नहीं कह पाते।
हमने काफी पोलिटिकल नेता को स्पीच पढ़ते देखा है। हजारो लाखो की मेदनी इकठ्ठा होने के बावजूद भी अपना प्रभाव नहीं डाल सकता।
उदहारण के तोर पे बताऊ तो माननीय मायावती एवम सोनिया गांधीजी हमेशा लिखी हुई स्पीच पढ़ते है। उनके सामने लाखो लोग होते है पर वो श्रोता पे प्रभाव नहीं छोड़पाते।
वही दूसरी तरफ नवजोत सींग सिंधु, अटल बिहारी वाजपेय अपनी वाक छटा के लिए जाने जाते है। उनको बोलता देख हर किसीको सुनाने की इच्छा होती है।
प्रैक्टिस करे
प्रैक्टिस किसी भी क्षेत्र में सफल होने का पर्यायी है। हम जो स्पीच देने वाले है इसकी बार-बार प्रैक्टिस करे। जितनी ज्यादा प्रैक्टिस करेंगे उतना ज्यादा आत्मविश्वास बढ़ेगा।
आयने के सामने प्रैक्टिस करने से हमारे चेहरे के हाउभाउ भी देख सकते है।
हो सके तो एक अच्छे मित्र के सामने प्रैक्टिस करे। जो आपकी गलतिया भी बताये और आपका मजाक भी ना बनाये।
समयसीमा का ध्यान रखे
यदि हम ये सोचते है की Speech Kaise De, तो समयसीमा बहुत ही महत्व का मुद्दा हे। यदि हमें समयसीमा दी गयी हे, तो हमें उसीमे अपने वक्तव्य को समत लेना हे।
यदि हमारी तैयारी ज्यादा हे और हम बोलते रहे तो वो उचित नहीं हे। यदि हमें समय सीमा नहीं दी गयी तब भी सामने बैठे श्रोता को बोर नहीं करना हे।
महत्वपूर्ण बिंदु –
:- भाषण में कही जगह श्रोता के साथ संवाद हो सके ऐसी परिस्थिति बनानी हे।
:- आप हर एक श्रोता से सीधे संवाद में हे इस तरह से स्पीच तैयार होनी चाहिए।
:- अच्छे पुस्तक का उल्लेख करना चाहिए। स्पीच से सम्बंधित वाक्य का जिक्र करना चाहिए।
:- भाषण में महान लोगो के सुविचार का उल्लेख करना चाहिए ।
:- उपयुक्त समय पर हास्य की लहर भी दौड़ जाये तो और बेहतर।
:- भाषण में ठोस और प्रभावी शब्दो का इस्तेमाल करे।
:- क्लासिक सरंचना के साथ अपने तथ्यों को एक साथ लाएं।
:- खास करके पोलिटिकल लीडर के लिए। ऐसे वादे न करे जो हमारी पहोच से दूर हो। वैसे भी हमारे यहां गलत वादे करने के लिए नेता बदनाम हे।
:- बिना उपयोगी ज्यादा बोलने से कम बोले पर काम का बोले।
:- जब हम बोलते है,तब हमारा मन हमारी स्पीच पे केंद्रित होना चाहिए। ये भटक जाने से हमारा लय टूट जाता है और वक्ता बीचमे ही रुक जाता है।
:- बोलते वक्ते दर्शको के साथ ऑय कांटेक्ट बना रहना चाहिए। किसी एक की तरफ नहीं देखना है। समग्र श्रोता की तरफ हमारी नजर गुमनी चाहिए।
:- यहां 100% व्याकरण का उपयोग करना हे, ऐसा ना सोचे। यहां आपके सामने बैठे श्रोता गण किस तरह से आपकी बात समज सकते हे ये सोचे। ऐसे वाक्य का इस्तेमाल न करे जो दर्शको को समज में ना आये।
Conclusion – स्पीच का अंत कैसे करें।
हमने अपने जीवन में बहुत सारी स्टोरी सुनी होगी। बहुत सारी फिल्मे देखि होगी या poem सुनी होगी। सबका अंत सुखद होता है, आनंद देने वाला होता है।
हमारी Speech का अंत भी यही होना चाहिए।
यदी हमारी स्पीच का अंत अच्छे वाक्यों से है, तो श्रोता इसे लम्बे समय तक याद रख सकते है।
Speech का अंत हम कोई स्टोरी से कर सकते है। कविता से कर सकते है। अच्छे स्लोगन से कर सकते है। प्रेरणादायक वाक्य से कर सकते है।
एक वक्ता को क्या चाहिए
श्रोता की तालियों की गड़गड़ाहट किसी वक्ता का मनोबल बढ़ा देता है। यदि हमारे भाषण के दौरान बिच-बिच में तालिया मिलती रहे तो समजो हम सही दिशा में जा रहे है।
Speech के अंत में श्रोता के द्वारा स्टैंडिंग ओवेशन मिलना किसी भी वक्ता के लिए बहुत बड़ा सन्मान माना जाता है। हमारी कोशिश वहा तक होनी चाहिए।
स्टैंडिंग ओवेशन हमारी स्पीच के साथ उसका अंत कैसा है, उसपे ज्यादा निर्भर करता है।
यदि हम वहा तक पहोच सकते है, तो समजो हमने वो सब दिया है जो श्रोता के लिए जरुरी था।
Hindi Speech.in की इस वेबसाइट में Speech Kaise De ये पहला आर्टिकल है। इसके बाद हर एक विषय से जुड़ा हुआ आर्टिकल की प्रस्तुति होगी। मुझे आशा है की जिन्हे स्टेज पे जाके बोलने की इच्छा है, उनके लिए जरूर मददगार होगा।
2 thoughts on “Speech Kaise De-आत्मविश्वास से भाषण कैसे दे”