डॉ.भीमराव आंबेडकर भारतीय इतिहास का वो सितारा जिसने जीना शिखाया। एक गरीब, दलित, अछूत परिवार में जन्मा भीम का नाम भारतीय इतिहास में सुवर्ण अक्षर से लिखा है। एक ऐसा व्यक्ति जो अपने दम पर ऊपर उठता है। अपनी मेहनत और परिश्रम की सिमा लांग के आगे निकलता है। और अपने व्यक्तित्व की सुगंध दुनियामे फैलता है। Speech on bhim rao ambedkar in Hindi – निबंध और भाषण तैयार कर सकते है

डॉ. भीमराव आंबेडकर भाषण -निबंध – Dr. Bhimrao Speech Essay in Hindi
भारत रत्न Dr. Baba Saheb Ambedkar का जन्म सन 1893 की 14 अप्रैल को हुआ था। मध्य प्रदेश के एक छोटे गांव महु में जन्मा हुआ भीम अपने माता पिता की 14 मी संतान थे। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी और माता का नाम भीमाबाई था।
Dr. Baba Saheb Ambedkar का मूल वतन महाराष्ट्र था। रत्नागिरी जिले के आबडवे गांव के वतनी अपनी आजीवका के कारण मध्यप्रदेश में बसता था। आंबेडकर के पिताजी भारतीय सैन्य में सूबेदार थे। धर्म से हिन्दू भीमराव महार जाती से थे। जिसे उस वक्त बहुत ही निचली जाती या अछूत माना जाता था। जिस के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा भेदभाव किया जाता था।
डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसे हजारो परिवार सामाजिक भेदभाव का शिकार बनते थे। हिन्दुधर्म का दुर्भाग्य था। की उसे तोड़ने वाली ताकते बहुत सफलता पूर्वक काम किया था। जातिवाद की इतनी गहरी खाई बन गयी थी की दलित और नीची जाती के लोगो को तुच्छ समजा जाता था। मानव को मानव का सन्मान तो दूर उनकी पदछायी से डर लगता था।
उच्च जाती के लोग उन्हें मंदिर में जाने नहीं देते थे। उनको गांव के कुवे से पानी नहीं पिने देते थे। अपने घरमे नहीं आने देते थे। आम बच्चो के साथ पढ़ने नहीं देते थे।
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Dr. Baba Saheb Ambedkar कर का दुर्भाग्य था और इस देश का सदभाग्य की वे उन्ही जाती के थे। दुर्भाग्य इसीलिये की सामाजिक असमानता का शिकार उनको होना पड़ा। पर देश का सदभाग्य इसीलिए, की उनकी लड़ाई के कारण छू-अछूत, दूर हुआ।
देश की हरेक जाती के लोगो को समानता का अधिकार मिला। आज हरएक जाती के लोग जिसमे खास तर दलित और पिछड़ा वर्ग अपने आप को गौरान्वित महसूस कर रहे है।
हरएक धर्म में, हरएक जाती में कुछ असामाजिक तत्त्व होते है। जिसके असामाजिक कार्यो के कारण पुरे समाज और पुरे धर्म पे कीचड़ उछलता है। ऐसे असामाजिक तत्त्व उस वक्त भी थे। जिन्होंने निचली जाती के जीना हराम कर रखा था।
अपने आप को उंच जाती के समजने वाले ऊँची जाती के कुछ लोग मानवता को भूल चुके थे। दलितों और पिछड़ी जाती के लोगो को मंदिर में नहीं जाने देते थे। गांव के कुवे से पानी तक नहीं पिने देते थे
बाबा साहेब आंबेडकर पढाई में होनहार छात्र, प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, प्रख्यात न्यायविद और समाज सुधारक थे।
एजुकेशन की बात करे तो BA, BSC, MSC, Economics जैसी कही डिग्री उनके पास थी। और कुल मिलाकर नो भाषा के जानकर थे। ज्ञान में वो विद्वान् थे। इसीलिए उन्हें आज़ाद भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया। और इस देश के सविधान बनाने की जिम्मेदारी सोपी गयी।
जिस भीमराव को स्कूल के कमरे के बहार बेथ के पढ़ना पड़ा था। उसने सन 1908 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से बेहतीरन अंको के साथ मेट्रिक की परीक्षा पास की। और सन 1912 में विज्ञानं,राजनीती अवं अर्थशात्र से स्नातक की पदवी हांसिल की।
Dr. Ambedkar Jayanti Speech – आंबेडकर जयंती के लिए भाषाण और निबंध तैयार करे
एक बहुत ही उत्कृष्ट और तेजस्वी छात्र के बारेमे वड़ोदरा के महाराजा को विदित किया जाता है। महाराजा सयाजीराव ने एक उगता हुआ सूरज की तरह उनकी प्रतिभा को पहचान लेते है। और आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें विश्व की मशहूर यूनिवर्सिटी कोलंबिया में भेजा जाता है। जहा भीमराव आंबेडकर परदेश में जाके अर्थशास्त्र में डॉक्टर की डिग्री पाने वाले पहले भारतीय बने।
भीमराव की तेजस्वी ता और उनकी प्रतिभा के बारेमे वड़ोदरा के महाराजा सयाजीराव पहले से जानते थे। जैसे पढाई पूरी करके वापस आये भीमराव को अपने यहाँ नौकरी पे रख लिया।
पर एक ऊंच पद पर बैठे हुए दलित समाज के व्यक्ति को सहन कर पाना कुछ लोगो के लिए मुश्किल था। और वे लोग अपने काम के तोर तरीको से बार-बार दलित होने का एहसास करते थे। परेशान होकर नौकरी छोड़ दी और आगे की पढ़ाई के लिए शरू की।
सन1894 में पिता सेवा से निवृत्त होते होने बाद परिवार अपने वतन की तरफ चला जाता है। जहा कुछ ही समय में लम्भी बीमारी के चलते भीमराव की माता का देहांत हो जाता है। के देहांत के बाद उनके पिता ने पुनर्विवाह कर लिया था।
वही 1906 में 15 साल के भीमराव का विवाह 9 साल की रमा बाई से होता है। सन 1912 में भीमराव के पिता रामजी सकपाल की मृत्यु हुई थी।
Baba Saheb Ambedkar Speech Essay in Hindi- बाबा साहेब आंबेडकर भाषण और निबंध
अस्पृश्यता निवारण और जातिवाद को दूर करने के लिये काफी महापुरुषों ने काम किया। राजाराम मोहन राय, न्याय मूर्ति रानाडे, मदन मोहन मालवीय और महात्मा गाँधी जैसे लोग जिवंत पर्यन्त जातिवाद के सामने लड़ते रहे। और समाज से अस्पृश्यता दूर करने का प्रयास करते रहे।
पर सामाजिक एकता का सबसे बड़ा काम डॉ भीमराव आंबेडकर ने किया,वो खुद ये जातिवाद का शिकार हो चुके थे इसीलिए,इसको दूर करने का महत्व भी अच्छी तरह समजते थे। उन्होंने अपने समाज, अपनी जाती के लोगो को न्याय दिलाने कही आंदोलन किये। जैसे की जातिवाद आंदोलन, मंदिर में प्रवेश आंदोलन,पुजारी विरोधी आंदोलन। इस आंदोलन की सफलता ने जातिवाद की जड़े ढीली कर दी थी।
भारत रत्न Dr. Baba Saheb Ambedkar चुनाव 1952 में लोक सभा का चुनाव हार गए थे। पर प्रतिभा से भरपूर भीमराव को राजयसभा में शामिल किया गया। और देश का कानून मंत्री बनाया गया। 6 दिसंबर 1956 में उनका देहांत हुआ। और 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
डॉ भीमराव आंबेडकर ने एक समाज सुधारक के तोर पे बेहतरीन काम किया। जिसमे दलित और पिछड़ी जाती के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। अस्पृश्यता निवारण एवं सामाजिक बुराइया के सामने आवाज उठाने वाले उस वक्त के सबसे बड़े नेता थे।
Dr. Baba Saheb Ambedkar भारतीय संविधान के निर्माता है। देश आज़ाद होने के बाद इतने बड़े देश के लिए एक सविधान बनाना आसान काम नहीं था। उस वक्त डॉ भीमराव आंबेडकर को 7 सदस्य की सविधान ड्राफ्टिंग कमिटी का चेयरमैन बनाया गया।
तक़रीबन 2 साल 11 महीने और 17 दिनों के बाद हमारा सविधान तैयार हुआ। जिस की छत्र छाया में आज हरएक धर्म और जाती के लोग अपने आप को सुरक्षित समझते है।
भारतीय सविधान के रचयिता Dr. Baba Saheb Ambedkar एक लेखक भी थे। अपने जीवन में कही पुस्तके लिखी जो काफी प्रचलित भी है।जिसमे मुख्य- ध अनटचेबिलिटी, हुवार ध शूद्र, एनीहिलेशन ऑफ़ कास्ट है।
14 अप्रैल 1991 में गरीब और दलित परिवार में भीम का जन्म हुआ था। अथाक परिश्रम के कारण विचलित परिस्थितिओ में भी भीमराव आगे बढ़ाते रहे। और अपने जीवन को बेहतरीन कामो से सजाते रहे।
जातिवाद को ख़तम करना, शिक्षा को बढ़ावा देना, समाज को एकत्रित करना अवं भारतका नवनिर्माण करना जैसे एक के बाद एक मोरपिच्छ अपनी कलगी में समाते गए और जीवन की सुंदरता बढ़ाते गये।
आज़ादी के लड़ाई के वक्त भी असामाजिक तत्त्व काफी सक्रीय थे। जो अंग्रेजो के सामने मातृभूमि को आज़ाद करने की लड़ाई में शामिल नहीं थे। पर जातिवाद को प्रोत्साहित करके धर्म और जाती को अलग करने के काम में आगे थे। ऐसे में डॉ भीमराव आंबेडकर प्रतिकूल परिस्थितयो में भी दोनों काम बखूबी निभाया। स्वतंत्रता संग्राम को भी सही दिशा दी और अस्पृश्यता निवारण करके मानव को मानव का सन्मान दिलाया।
Dr. Baba Saheb Ambedkar Bhashan – आंबेडकर जयंती भाषण – निबंध
14 अप्रैल को सविधान के निर्माता का जन्मदिन हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।सत्ता पक्ष और विपक्ष के द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इसी दिन हर जगह उनकी प्रतिमा को फुलहार पहनाया जाता है।
स्कूल और कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन और खेल प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
हम कहते है की राष्ट्रधर्म किसी भी धर्म से ऊपर है। तो हमारा राष्ट्रीय धर्म ग्रन्थ हमारा सविधान है। इस सविधान का निर्माता दलित समाज से डॉ. भीमराव आंबेडकर, हिन्दू धर्म के धार्मिक ग्रन्थ रामायण के रचयिता तुलसीदास और महाभारत के रचियिता कवी कालिदास जो दलित समाज से थे। ये पुरवार करता है की दलित समाज का हिन्दू धर्म से नाता किसी भी क्षत्रिय और भ्रह्माण से कम नहीं है।
Dr. Baba Saheb Ambedkar अपने विचारो और सद्गुणों से दुनिया को प्रभावित किया और परिवर्तित भी किया। मानव को तुच्छ समजने वाले लोगो के सामने अपने अधिकार के लिए लड़ने की प्रेरणा जगाई। मानव मानव के बिच की असमानता और जाती व्यवस्था को दूर की और दलित और पिछड़ी जाती के लोगो को सशक्त बनाया।
एक समाज सुधारक, एक राजनीतिज्ञ, कानून मंत्री,सविधान के निर्माता, एक लेखक और भारत का रत्न डॉ आंबेडकर का देहांत हुआ तब कलैंडर में तारीख 6 दिसम्बर थी और साल 1956 था। भारत के वो सपूत इस देश को, खास कर दलित और पिछड़ी जाती को इतना कुछ दे गए है की आने वाली सदियों तक उन्हें याद किया जायेगा।
मानव को सन्मान दिलाने के लिए,अछूतो के उथ्थान के लिए, कमजोर को सशक्त बनाने के लिए भीमराव ने जीवन समर्पित किया। आज जिस गति से देश में जातिवाद कम हो रहा है। दलितों और पिछड़ी जाती को सन्मान मिल रहा है। इसमें सबसे बड़ा योगदान समानता की प्रतिमा डॉ भीमराव आंबेडकर का है।
Dr. Bhimrao Ambedkar Quotes in Hindi
- जीवन लम्बा होने की बजाई महान होना चाहिए।
वे इतिहास नहीं बना पाते जो इतिहास को भूल जाते हो। - मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, बंधुता अवं समानता सिखाता हो।
- धर्म मनुष्य के लिए है नाकि मनुष्य धर्म के लिए।
- शिक्षित बनो,संगठित रहो और उत्तेजित बनो।
- मनुष्य नश्वर है,उसी तरह विचार भी नश्वर है। एक विचार को प्रचार की जरुरत होती है। जैसे की एक पौधे को पानी की,नहीं तो दोने मुर्जा जाते है।
- में एक समुदाय की प्रगति को उस नजर से मापता हु जो उस समाज की महिलाओने हांसिल की हो।
- एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है की वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है।
- बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
- मानवता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना होगा।
Jay Hindi
Speech on bhim rao ambedkar in hindi के आर्टिकल से आंबेडकर जयंती के दिन के लिए स्पीच तैयार कर सकते है। स्कूल में निबंध तैयार कर सकते हो। यदि स्पीच तैयार करने में कोई मुश्केली हो तो कमेंट कर सकते है।